हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में आ रहे प्रवासियों को बॉर्डर पर ही जांच कर संस्थागत क्वारंटाइन करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि रेड जोन से आने वालों की बॉर्डर पर ही कोरोना जांच कराई जाए। रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही उन्हें राज्य में दूसरी जगहों पर भेजा जाए। इस संबंध में दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी की खंडपीठ ने कहा कि दूसरे राज्यों से आ रहे लोगों में कोरोना के लक्षण दिखते हैं तो सचेत रहे।
मामले की अगली सुनवाई दो जून को होगी। हरिद्वार निवासी सच्चिदानंद डबराल और अधिवक्ता दुष्यन्त मैनाली की ओर से हाईकोर्ट में टेस्टिंग और मेडिकल सुविधा/सुरक्षा को लेकर अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की है। इसमें कहा गया है कि प्रदेश में कोरोना से लड़ने के लिए मेडिकल स्टाफ के पास पीपीई किट और अधिकृत अस्पतालों में वेंटीलेटर-आईसीयू नहीं है। डबराल की याचिका में मांग की गई है कि उत्तराखंड लौट रहे प्रवासियों की कोरोना जांच बॉर्डर पर ही की जाय।
वहां उनके खाने-पीने की भी उचित व्यवस्था हो, जिससे प्रदेश में वायरस का संक्रमण रोका जा सके। बुधवार को सुनवाई के दौरान आईसीएमआर की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्यों को टेस्ट और आरटीसीटीपी किट जल्द उपलब्ध कराई जा रही है। दूसरी जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया गया कि कोर्ट के आदेश पर उसने कोविड अस्पतालों में आईसीयू और वेंटीलेटर उपलब्ध करवा कर संचालित करवा दिया है, बाकी जगहों पर भी ये सुविधा जल्द उपलब्ध कराई जाएगी। सुनवाई के दौरान राज्य के स्वास्थ्य सचिव नितेश झा और स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती भी वीडियो कांफ्रेंस के जरिए कोर्ट के सामने पेश हुए।