नोबेल विजेता और भारत रत्न अमर्त्य सेन -एक संछिप्त परिचय

ब्यूरो,

नोबेल विजेता और भारत रत्न अमर्त्य सेन

कोलकाता के शांति निकेतन परिसर के एक कायस्थ परिवार में पले और बढ़े नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत रत्न अमर्त्य सेन आज ही के दिन पैदा हुए थे। उनके पिता आशुतोष सेन ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र पढ़ाते थे। 3 नवम्बर 1933 को ढाका अब बांग्लादेश में पैदा होने वाले सेन शांति निकेतन और प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता से पढ़ाई पूर्ण करने के बाद सीधे कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज गये। लंबे अध्ययन और अध्यापन के बाद अमर्त्य सेन को 1998 में अर्थशास्त्र का नोबल सम्मान मिला और 1999 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थाओं में अध्ययन अध्यापन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा प्रोजेक्ट का प्रभारी बनाया। नालंदा विश्वविद्यालय 5 वीं शताब्दी से लेकर 1197 तक उच्च शिक्षा का पूरी दुनिया में मशहूर एक प्राचीन महत्वपूर्ण केंद्र था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर इसको पुनः चालू किया गया। 19 जुलाई 2012 को सेन को प्रस्तावित नालंदा विश्वविद्यालय (एनयू) के प्रथम चांसलर नामित किया गया। इस विश्वविद्यालय में अगस्त 2014 में अध्यापन कार्य शुरू हुआ। अमर्त्य सेन का कार्यकाल 20 फरवरी 2015 को पूरा हो गया और उन्होंने दूसरे कार्यकाल के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली।
अमर्त्य सेन की जीवन का एक रोचक पक्ष यह भी है कि उन्होंने तीन शादी की। उनकी पहली पत्नी नबाणीता देव सेन एक भारतीय लेखक और विद्वान थी। जिनसे उनकी दो बेटियां अंतरा (पत्रकार और प्रकाशक) और नंदना बॉलीवुड अभिनेत्री हैं। 1971 में लंदन जाने के तुरंत बाद उनकी शादी टूट गई और 1978 में सेन ने इतालवी अर्थशास्त्री ईवा कोलोरी से दूसरी शादी की। ईवा से उनके दो बच्चे हुए बेटी इंद्रानी न्यूयॉर्क में पत्रकार और पुत्र कबीर एक हिप हॉप कलाकार है। इसके बाद 1991 में सेन ने एम्मा जॉर्जीना रोथस्चल्ड से तीसरी शादी की जो हार्वर्ड विश्वविद्यालय में जेरेमी और जेन नोल्स की प्रोफेसर रहीं।

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