ब्यूरो,
लोकसभा एवं विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने वाले नारी शक्ति वंदन विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद अब सबकी नजरें राज्यसभा पर लगी हैं। गुरुवार को राज्यसभा में विधेयक को पेश किया जाएगा और चर्चा के बाद पारित कराने की तैयारी कर ली गई है। सरकार को उम्मीद है कि राज्यसभा में भी सभी दलों के सहयोग से इसे पारित करा लिया जाएगा।
राज्यसभा में एनडीए के पास बहुमत नहीं है। 239 सदस्यीय राज्यसभा में एनडीए के पास अपना संख्याबल तकरीबन 112 का है जो सामान्य विधेयकों को पारित करने के लिए लिहाज से भी कम है। लेकिन अब तक विधेयकों को पारित कराने में बीजद, वाईएसआर जैसे कई तटस्थ दल सरकार के साथ खड़े रहते हैं। लेकिन महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक संविधान संशोधन विधेयक है जिसे पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत यानी करीब 158 सांसदों का समर्थन चाहिए। इसलिए इसमें कांग्रेस, तृणमूल जैसे बड़े दलों का समर्थन जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने एक दिन पूर्व ही राज्यसभा में इस विधेयक को पारित करने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठने की अपील की थी और कहा था कि पूर्व में ऐसे मौकों पर सदन ने ऐसा किया भी है जिससे सदन की गरिमा बढ़ी है। जिस प्रकार लोकसभा में विधेयक के खिलाफ सिर्फ दो मत पड़े हैं, उससे सरकार राज्यसभा में विधेयक को सभी का समर्थन मिलने को लेकर आश्वस्त है। हालांकि लोकसभा में ज्यादातर दलों ने इसमें OBC आरक्षण जोड़ने, जल्दी लागू करने और जातीय जनगणना किए जाने जैसे मुद्दे उठाए हैं। ये मुद्दे भी राज्यसभा में उठेंगे।
विपक्ष नारी शक्ति वंदन विधेयक संशोधन का दबाव भी डाल सकता है। लेकिन सरकार मौजूदा स्वरूप में ही विधेयक को पारित कराना चाहती है। इसलिए इन मुद्दों को दरकिनार करके ही सरकार इसे पारित कराने की कोशिश करेगी। सरकार को लगता है कि राजनीतिक नुकसान के डर से विपक्ष विधेयक की राह में रोड़े नहीं अटकाएगा।