ब्यूरो,
भारत के कई अन्य देशों से संबंध बेहद अच्छे हैं। ऐसे में अयोध्या राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कई देशों के राजदूतों को न्योता दिया जाएगा। इनमें से एक साउथ कोरिया भी शामिल है। हाल ही में भारत आए दक्षिण कोरिया के राजदूत चांग जे-बोक ने भी इस बारे में बात करते हुए कहा था कि वह अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन के निमंत्रण का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि अयोध्या भारत और दक्षिण कोरिया दोनों के लिए ऐतिहासिक रूप से अहम है। इसी के बाद लोगों के मन में सवाल था कि साउथ कोरिया का अयोध्या से क्या कनेक्शन है?
इस बारे में चांग जे-बोक ने कहा था कि अयोध्या ऐतिहासिक दृष्टि से हम दोनों के लिए बेहद खास है। 2000 साल पहले एक भारतीय राजकुमारी ने कोरियाई राजा से शादी की थी। इसका संबंध अयोध्या से है। हमारी एक किताब के अनुसार राजकुमारी अयुता से थीं। ये तो नहीं पता कि अयुता ही अयोध्या है या नहीं, लेकिन कोरियाई भाषा में इसे अयुता कहते हैं और अयोध्या को ही अयुता माना जाता है। अयोध्या की एक राजकुमारी ने दक्षिण कोरियाई राजा से शादी की थी। ऐसा पहली शताब्दी ईस्वी में हुआ था। मान्यताओं के अनुसार अयोध्या के राजा पद्मसेन और इंदुमती की एक बेटी थी जिनका नाम था राजकुमारी सुरीरत्ना। राजा पद्मसेन ने अपनी बेटी सुरीरत्ना को शादी करने के लिए कोरिया भेजा था। कोरिया में सुरीरत्ना ने किम सुरो से शादी की। उन्हें रानी हुह के नाम से जाना जाता है। अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना और किम सुरो की शादी के बाद दोनों ने साथ राज्य बनाया जिसे किम-हे-किम कहा गया।
खास बात ये भी है कि सरयू के किनारे दक्षिण कोरिया से मंगवाए एक पत्थर से रानी हुह का एक स्मारक भी बनाया गया है। ये स्मारक कोरियाई परंपरा के अनुसार बनाया गया। इसमें 7,500 किलोग्राम वजन वाले तीन मीटर ऊंचे पत्थर का इस्तेमाल किया गया।