फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने सोमवार को कहा कि वह चिंतित हैं कि अन्य देश इंटरनेट को विनियमित करने के लिए चीन के दृष्टिकोण की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं। जुकरबर्ग ने एक वीडियो बैठक के दौरान यूरोपियन यूनियन इंडस्ट्री कमिशनर थियरी ब्रेटन के साथ बातचीत में कहा, मैं इसको लेकर बहुत कुंद हूं, मेरा विचार है कि चीन जैसे देशों से एक मॉडल बाहर आ रहा है। ये मॉडल उन पश्चिमी देशों के मूल्यों से बेहद अलग है जो चीन से कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक हैं।
उन्होंने कहा कि अब यह पश्चिमी देशों पर निर्भर है कि वे डाटा प्राइवेसी को लेकर एक स्पष्ट फ्रेमवर्क बनाएं। इसे विकसित करना हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है।
यह जुकरबर्ग द्वारा दिया गया नवीनतम उदाहरण था जिसमें दुनियाभर में फैले इंटरनेट पर चीनी मॉडल के बढ़ते जोखिमों के बारे में बताया गया है। उन्होंने पिछले साल भी कुछ ऐसी ही चेतावनी दी थी और कहा था कि यह जरूरी है कि चीन को दुनियाभर में इंटरनेट के नियमों में बदलाव करने का मौका न दिया है। इस चेतावनी के बाद फेसबुक के चीनी कर्मचारियों के बीच तनाव बढ़ गया था। फेसबुक को उम्मीद है कि फ्री स्पीच संदेश के कारण नियामक कंपनी को इंटरनेट पर कठिन नियम लगाने की जगह सत्तावादी इंटरनेट का समर्थक समझेंगे।
जुकरबर्ग ने यूरोपीय संघ के सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (जीडीपीआर) की प्रशंसा की, जिसने फेसबुक, ट्विटर, गूगल और अन्य इंटरनेट कंपनियों के लिए परिवर्तन को लागू किया, जिसके अनुसार सभी कंपनियां यूरोपीय संघ में उपयोगकर्ता का डाटा एकत्र करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि तकनीकी प्लेटफॉर्म और सरकारी नियामकों के बीच सहयोग अपरिहार्य है। थियरी ब्रेटन ने कहा कि साथ काम करना ही बेहतर होगा। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि सही सरकारी टूल और व्यवहार को डिजाइन करने के लिए साथ काम करने की क्षमता सबसे अहम है। हमें यह समझना चाहिए खासकर डिजिटल मार्केट के लिए। साथ ही सामाज को जानकारी देनी की हमारी जिम्मेदारी भी काफी अहम है।
जुकरबर्ग ने कहा कि फेसबुक की पॉलिसी कोरोनावायरस से संबंधित भ्रामक जानकारियों को लेबल करना है। उन्होंने कहा, हमें कोविड-19 से संबंधित हजारों भ्रामक कंटेंट को हटाया है और हमारे स्वतंत्र फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम ने अब तक 5 करोड़ कंटेंट पर चेतावनी जारी की है। हमें पता है कि 95 फीसदी समय जब कोई एक कंटेंट को लेबल के साथ देखता है तो उसपर क्लिक नहीं करता। फेसबुक ने कुछ दिनों पहले ही अपने ओवरसाइट बोर्ड के पहले सदस्यों को नियुक्त किया है। यह बोर्ड कुछ फैसलों को वीटो कर सकता है। ब्रेटन ने इस बोर्ड के गठन की सराहना की है और कहा कि आखिरकार सब चीजों के लिए मार्क जिम्मेदार होगा, कोई और नहीं। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने एक मुकदमे को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया कि फेसबुक ने आतंकवादियों को उनकी सामग्री की मेजबानी करके भौतिक सहायता प्रदान की है। कोर्ट ने फोर्स बनाम फेसबुक के मामले को सुनने से इनकार कर दिया। यह मामला पांच अमेरिकियों के परिवारों द्वारा लाया गया था जो इजरायल में फिलिस्तीनी हमलों से आहत हुए या मारे गए थे। आतंकवादी हमलों के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मुकदमा चलाने के खिलाफ कानूनी मिसाल को मजबूत करते हुए, इस मामले को पिछले साल एक गंभीर झटका लगा था।
याचिका में कहा गया था कि फेसबुक ने जानबूझकर हमास के अकाउंट को होस्ट किया था, जिसे अमेरिका आतंकवादी संगठन मानता है। वेबसाइट को यूजर द्वारा बनाए गए कंटेंट के कारण दफा 230 के तहत कोर्ट में नहीं घसीटा जा सकता है। याचिका में कहा गया था कि फेसबुक के एल्गोरिदम ने आतंकी कंटेंट को उन लोगों के बीच प्रचारित किया जिन्होंने पहले से ही ऐसे पेज लाइक कर रखे थे। सेकेंड सर्किट कोर्ट ने इस तर्क को विश्वास लायक करार नहीं दिया। इसके बाद इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा गया और वहां से भी इसे खारिज कर दिया गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं बताया है कि उन्होंने मामले में खारिज क्यों कर दिया।