विश्व मधुमक्खी दिवस पर प्रोपोलिस,मधु और मधुमक्खी के अन्य उत्पादों के लाभ तथा कृषि और बागवानी में इस पंखधारी कीट की महती भूमिका पर चर्चा की जाएगी।राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (बीडीसी) के एक सदस्य ने आयोजन की पर्व संध्या पर यह जानकारी दी। अनुसंधानकर्ताओं ने प्रोपालिस में कोविड-19 जैसे संक्रमणों से प्रतिरोध की क्षमता बढ़ाने के गुणों का परीक्षण किया है। बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य देवव्रत शर्मा ने पीटीआई भाषा को बताया, ”20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस पर मधुमक्खी के तमाम उत्पादों के लाभ, उत्पादन बढ़ाने में मधुमक्खियों की भूमिका और किसानों को खेती के साथ साथ नये व्यवसाय के अवसर मुहैय्या कराने की संभावनाओं के बारे में बताया जायेगा।
‘अभी हाल फिलहाल ही आईआईटी दिल्ली और जापान के औद्योगिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान ने कोविड-19 महामारी की रोकथाम में आयुर्वेदिक दवा अश्वगंधा और मधुमक्खी उत्पाद ‘प्रोपोलिस के असरकारी होने का दावा किया है। बुधवार को विश्व मधुमक्खी दिवस पर राष्ट्रीय ‘वेबिनार में देश भर के लाखों मधुमक्खीपालक किसान शाम तीन बजे से पांच बजे तक मधुमक्खी आधारित उद्योग पर तमाम उत्पादों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा, ”वैसे तो मधुमक्खियों की परागण और खाद्य उत्पादन में वृद्धि करने की भूमिका को वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन तक ने सराहा है। मधुमक्खीपालन से शहद के अलावा ‘प्रोपोलिस (छत्ता गोंद), रॉयल जैली (रानी मधुमक्खी का भोजन), मोम, डंक (वेनम), पोलन (पराग कण) जैसे महंगे उत्पादों को निकालने के तरीके विकसित हुए जिसके बारे में जागरुकता बढ़ने से किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से दिये गये 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में 500 करोड़ रुपये, समेकित मधुमक्खीपालन विकास केन्द्र (आईबीडीसी) को दिये गये हैं ताकि मधुमक्खीपालक किसानों के लिए आधारभूत ढांचे का विकास हो सके । इसमें महिला किसानों को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके तहत इन तमाम उत्पादों के संग्रहण, उनके विपणन, भंडारण, मूल्यवर्धन के संदर्भ में आधारभूत ढांचे का विस्तार कर किसानों के बीच इनके बारे में जागरुकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) के तहत आने वाली मधुमक्खीपालन विकास समिति (बीडीसी) की सिफारिशों पर 500 करोड़ रुपये का यह पैकेज दिया गया है। शर्मा ने पैकेज के लिए प्रधानमंत्री व सरकार को धन्यवाद दिया।
भारत में मधुमक्खीपालन से प्राप्त होने वाले उत्पादों का कारोबार औसतन 2,000 से 2,500 करोड़ रुपये का होता है जिसमें लगभग 1,000 करोड़ रुपये के मधुमक्खीपालन से प्राप्त उत्पादों का निर्यात होता है। निर्यात का लगभग 80 से 90 प्रतिशत निर्यात अमेरिका को किया जाता है जबकि शेष निर्यात पश्चिम एशिया, यूरोपीय देश और अफ्रीकी देशों को होता है।
शर्मा ने कहा कि फिलहाल देश में ‘बी (मधुमक्खी) कॉलोनियों की संख्या 30 लाख ही है और बीडीसी की ओर से हमने देश भर में 20 करोड़ ‘बी कॉलोनी स्थापित किये जाने की सिफारिश की है। संयुक्त राष्ट्र आम सभा (जनरल असेम्बली) ने वर्ष 2017 में 20 मई को पूरे विश्व में मधुमक्खी दिवस मनाने का संकल्प लिया। पर-परागण में मधुमक्खियों की इसी भूमिका को लेकर प्रख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन ने कहा था कि अगर दुनिया से मधुमक्खियां खत्म हो गयीं तो चंद सालों में सारी सभ्ययता खत्म हो जायेगी।