अनंत की तलाश

ए.के. दुबे

अनंत की तलाश🌹

एक बहुत मशहुर चित्रकार था । उसकी बनाई पेन्टींग तुरन्त बिक जाती। बहुत लोग उसके पेन्टींग के दीवाने थे और उसके बनाई पेन्टींग का मुँहमाँगा दाम देने के लिये तैयार रहते थे। चित्रकार भी पेन्टींग के प्रति इतना समर्पित था कि अभी तक शादी नही किया था।

   ढलती उम्र मे चित्रकार एकबार सोचने लगा कि मेरी बनाई चित्रकारी को लोग इतना पसंद करते हैं, मुझे खुश करने के लिए मुँहमाँगा दाम देते है लेकिन जिसने मेरा सृजन किया, जिसने इस खूबसूरत सृष्टि का सृजन किया है, उस सृष्टिकर्ता को खुश करने के लिए मै आजतक कुछ नही किया।उनकी कलाकृतियोँ (संसार) को तो मै दिल खोलकर निहारा भी नही। प्रकृति के सुन्दर रुपों को अपने कलाकृतियोँ में चित्रित किया, लेकिन उसके मधुर सुरम्य धीमी आवाज को सुना ही नही। यह सोचते सोचते उसकी तुलिका रुक गयी।

उसने निश्चय किया कि अब वो भगवान के बनाये रचना को निहारेगा और भगवान को खुश करने के लिए कुछ करेगा। उसे अपने काम से विरक्ति होने लगा।

    एकदिन चित्रकार घर द्वार छोड़कर अनन्त की खोज में निकल पडा। चलते चलते शाम ढलने लगी थी। एक पेंड़ के नीचे बैठकर रात्रि विश्राम  के लिए सोचने लगा। आसपास कोई घर नजर नही आ रहा था।

     उसी समय उधर से गुजर रही एक नन्ही सी प्यारी सी बच्ची की नजर चित्रकार पर पडी। बच्ची चित्रकार से बोली कि आप कौन हैं,आप को कहाँ जाना है,रात होने को हैं, चलिएन हमारे घर ,आपको अपने बाबा से मिलवाती हुँ । बच्चे वैसे भी भगवान का रुप होते है, बच्चे सभी को प्यारे लगते है। बच्ची के बालहठ और  प्यार पुर्वक आग्रह  से चित्रकार की दुविधा समाप्त हो गयी। वह बच्ची के साथ उसके घर चल दिया।

   अतिथि देवो भव के भाव से उस घर के बुजुर्ग ने चित्रकार का स्वागत खुशी मन से किया। उसने चित्रकार को आदरपूर्वक खाना खिलाने के बाद रात्रि विश्राम की व्यवस्था कर दिया। चित्रकार ने महसूस किया कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। जीवनमें पहलीबार उसे पराये भी अपने लगने लगे थे। चित्रकार उस बच्ची और बुजुर्ग के प्यार और सम्मान से भावविभोर हो गया, बरबस उनके आँखो से आँसू निकल पडे़। चित्रकार ने बुजुर्ग से कलर पेन्ट तथा ब्रश मँगा कर उसके घर के सामने जो लकडी का बाड़ (फेंसिंग) लगा था उसको पेन्ट कर दिया। इसके बाद उनलोगो से विदा लेकर    चित्रकार वहाँ से चला गयाा।
    इधर जब चर्चा हुई कि चित्रकार घर छोड़कर कही चले गये है । चित्रकार के प्रसंसक उनकी खोज करते करते बुजुर्ग के घर पहुँचे। हुलिया सुनकर बुजुर्ग ने बताया कि वे मेरे यहाँ रात्रि विश्राम के बाद मेरे बाड़े (फेंसिंग) को पेन्ट करके कहीं चले गये।
    चित्रकार के प्रसंसको ने जब उसके द्वारा पेन्ट किये बाड़ को देखा तो उनके खुशी का ठिकाना नही रहा। चित्रकार बाड़ के सभी खम्भों पर अपना हस्ताक्षर कर दिये था। वो बाड देखते ही देखते लाखों रुपयों मे बिक गये।यह चित्रकार द्वारा बच्ची को दिया गया तुच्छ उपहार था। उधर चित्रकार अनन्त की तलाश मे अनन्त की तरफ चलते जा रहा था।
सुप्रभातं, सुमंगलं।। जो प्राप्त है-पर्याप्त है, जिसका मन मस्त है, उसके पास समस्त है!आपका हर पल मंगलमय हो।

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