इज़राइल में नेतन्याहू की अगुवाई में नई सरकार ने ली शपथ, 18 महीने बाद गांट्ज बनेंगे प्रधानमंत्री

इज़राइल में रविवार (17 मई) को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में नई सरकार ने शपथ ले ली और इसी के साथ देश के इतिहास में सबसे लंबा राजनीति गतिरोध खत्म हो गया। गतिरोध के दौरान 500 दिनों से भी ज्यादा वक्त तक कार्यवाहक सरकार बागडोर संभाले हुए थी और एक के बाद एक हुए तीन चुनावों में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। नेसेट (इज़राइली संसद) में नई सरकार के विश्वास मत के दौरान पक्ष में 73 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 46 मत। चुनावों में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर नेतन्याहू ने प्रतिद्वंद्वी से साथी बने ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के बेनी गांट्ज के साथ मिलकर सरकार बनाई है। नयी सरकार में 36 मंत्री और 16 उप मंत्री होंगे।

शपथग्रहण के तत्काल बाद नेतन्याहू (70) ने आर्मी रेडियो को बताया, “व्यापक सरकार के साथ स्थिरता हासिल कर ली गई है।” गांट्ज ने रक्षा मंत्री और वैकल्पिक प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। गठबंधन के समझौते के तहत सत्ता की साझीदारी पर बनी सहमति के मुताबिक नई सरकार में 18 महीने बाद नेतन्याहू पद छोड़ देंगे और 17 नवंबर 2021 को गांट्ज प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे। नेसेट ने नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के यारिव लेविन को नया अध्यक्ष भी चुना। विपक्षी नेता येर लापिड ने नई सरकार और खास तौर पर अपने पुराने सहयोगी गांट्ज और गाबी अस्केनाजी की आलोचना की, जिन्होंने उनके चुनाव पूर्व गठजोड़ को तोड़कर नेतन्याहू से हाथ मिला लिया। लापिड ने कहा, “दो आईडीएफ (इज़राइली रक्षा बल) प्रमुखों ने तीन गंभीर मामलों में दोषारोपित व्यक्ति के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।” उनका इशारा गांट्ज और अस्केनाजी की तरफ था। अस्केनाजी नई सरकार में विदेश मंत्री होंगे।

नेतन्याहू को तीन आपराधिक मामलों में दोषारोपित किया गया है और इनका मुकदमा 24 मई को शुरू होना है। उन्होंने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है। नेतन्याहू (70) ने बुधवार को राष्ट्रपति रुवन रिवलिन और ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के अध्य्क्ष बेनि गांट्ज को भेजे पत्रों में सरकार बनाने में सफलता की औपचारिक रूप से घोषणा की थी। शपथ ग्रहण से पहले नेतन्याहू ने कहा, “यह इज़राइली कानून को लागू करने और यहूदीवाद के इतिहास में एक और गौरवपूर्ण अध्याय लिखने का वक्त है।” नेतन्याहू पिछले साल जुलाई में देश में सबसे ज्यादा वक्त तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेता बने थे। सरकार को बृहस्पतिवार (14 मई) को शपथ लेनी थी, लेकिन सत्ताधारी लिकुड पार्टी में मंत्री पद को लेकर मची खींचतान की वजह से इसे टालना पड़ा। पश्चिमी तट पर इज़राइली संप्रभुता को लेकर नेतन्याहू ने कहा, “समय आ गया है कि जो इज़राइली जमीन पर हमारे अधिकारों के औचित्य में विश्वास करता है, वह एक ऐतिहासिक प्रक्रिया को एक साथ लाने के लिए मेरे नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो।”

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा “एजेंडे में है” सिर्फ इसलिए क्योंकि मैंने इस पर व्यक्तिगत रूप से काम किया। उन्होंने कहा कि तीन साल तक उन्होंने सार्वजनिक तौर पर और पर्दे के पीछे इस पर जोर दिया। फिलिस्तीन के साथ शांति समझौते के प्रयासों पर इससे किसी तरह का प्रभाव पड़ने की आशंका को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि इसके विपरीत इससे शांति समझैते को बढ़ावा मिलेगा।

इज़राइल का करीबी सहयोगी अमेरिका भी इस प्रस्ताव के समर्थन में है। यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसफ बोरेल ने शुक्रवार (15 मई) को कहा था कि संघ इज़राइल को इस कदम पर आगे बढ़ने से रोकने के लिए “अपनी सभी कूटनीतिक क्षमताओं” का इस्तेमाल करेगा। नेतन्याहू और पूर्व सेना प्रमुख गांट्ज ने पिछले महीने कहा था कि वे कोरोना वायरस संकट और गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने तथा चौथे चुनाव को टालने के लिए अपने मतभेदों को दरकिनार कर साथ आ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *