ब्यूरो,
किन कारणों से यूपी की ईमानदार अफसर रेणुका कुमार की वापसी लखनऊ हुई ये तो स्पष्ट न हो सका पर एक बात तो स्पष्ट हो गयी,भारत सरकार से मात्र 13 महीने से भी कम समय मे उन्हें फिर लखनऊ आने का आदेश थमाकर अनेक सवाल खड़े हो गए है ? भारत सरकार के अल्पसंख्यक मामलो के विभाग में तैनाती के साथ साथ सामाजिक न्याय विभाग के सचिव का कार्य भी उन्हें दिसंबर 21 में दिया गया था। बाध्य प्रतिक्षा में पहुंचे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के बाद अल्पसंख्यक सचिव को घर जाने का फरमान क्यों रहा,हर कोई जानने को बेताब है। चर्चा इस बात की भी है कि आखिर उन्हें राज्य में क्या दायित्व मिलेगा ? एक जानकर कहते है 1987 बैच के अधिकारी राजस्व परिषद में है तो फिर यूपी में उनकी पद क्या होगा ? राज्य उन्हें महत्व देगा या नही,ये तो समय बताएगा पर कड़क अधिकारी के रूप में उनकी चर्चा 1991 में बस्ती से आरंभ होती है जब वे मुविअ बस्ती थी और एक मामले में उनका स्थानन्तरण कर गया था जिसके विरोध में खलीलाबाद के तत्कलीन भाजपा विधायक राम चरित्र कनौजिया ने प्रतिष्ठा बनाकर राज्य सरकार के सामने असहज स्थिति खड़ी कर दी थी।