ब्यूरो,
ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को सौंपने की अर्जी में संशोधन होगा। वाराणसी की फास्ट ट्रैक अदालत ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज कर दी है। वादी को संशोधन के लिए कोर्ट ने तीन दिन का समय दिया है।
ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को सौंपने और उसमें मुस्लिम पक्ष के प्रवेश पर प्रतिबंध समेत तीन बिंदुओं पर सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र में संशोधन होगा। यह आदेश अदालत ने गुरुवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिया है। वहीं, मूल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई 21 जुलाई तक टल गयी है।
प्रकरण के अनुसार विश्व वैदिक सनातन संघ की महासचिव व आदि विश्वेश्वर की वाद मित्र किरण सिंह, वादी विकास साह एवं विद्याचंद ने 30 मई को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में दाखिल 77 पेज और 122 पैरा में दिए गए प्रार्थना पत्र में तीन मांग की गई थी। पहला, मुस्लिम पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में प्रवेश से प्रतिबंधित किया जाए।
दूसरा, ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को पूजा-पाठ करने के लिए सौंपा जाए और तीसरा भगवान आदिविश्वेश्वर की तत्काल प्रतिदिन पूजा-अर्चना प्रारम्भ की जाए। उन्होंने कोर्ट कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट की भी दलील दी थी। उक्त तिथि कोर्ट की सुनवाई शुरू होने से पहले जिला जज ने मुकदमे को फास्ट ट्रैक कोर्ट महेन्द्र कुमार पांडेय की अदालत में ट्रांसफर कर दिया।
एफटीसी कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अधिवक्ता ने वाद की प्रति उपलब्ध नहीं कराने का विरोध किया। साथ ही आपत्ति दर्ज करने के लिए समय मांगा। आठ जुलाई को निर्धारित तिथि पर सुनवाई में वादी अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र के पेज नं. 28 के पैरा 41 की छठवीं लाइ में ‘इवर’ के स्थान पर ‘नेवर’ शब्द सहित कुछ बिंदुओं पर संशोधन के लिए एक अन्य प्रार्थना पत्र दिया।
प्रार्थनापत्र पर गुरुवार को सुनवाई हुई। करीब घंटेभर तक अदालत ने दोनों पक्षों को सुना। अदालत ने कहा कि संशोधन किया जाना आवश्यक है। प्रतिवादी का सभी आपत्तियां औपचारिक है। इसलिए निर्धारित शब्दों व बिंदुओं को तीन दिन के अंदर संशोधन कर कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए।
वाराणसी। ज्ञानवापी प्रकरण के वुजूखाने में गंदगी और नेताओं की बयानबाजी को लेकर एसीजेएम पंचम उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में दाखिल अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया है कि नमाजियों की ओर से वजूखाने में हाथ-पैर धोकर गंदगी फैलाई जाती है। जबकि वह स्थान हमारे भगवान शिव का स्थान है। यह हिंदू समाज के लिए अपमानजनक है।
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि ने ज्ञानवापी प्रकरण पर बयान देकर हिंदुओं की भावनाओं पर कुठाराघात किया है। अधिवक्ता ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंजुमन इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाकी, मुफ्ती ए बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, कमेटी के संयुक्त सचिव सैय्यद मोहम्मद यासीन और बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है।