(NSA) अजित डोभाल ने अग्निपथ योजना की जरूरतों और उसको लेकर जतायी जा रही आशंकाओं पर खुलकर की बातचीत

ब्यूरो,

नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने अग्निपथ योजना की जरूरतों और उसको लेकर जतायी जा रही आशंकाओं पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में अग्निपथ योजना से सेना के कमजोर होने के संदेह को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना सेना को मजबूत करने के लिए लाई गई है, उसके कमजोर होने का कोई सवाल ही नहीं है। इसके साथ ही डोभाल ने सभी बड़े सवालों के जवाब दिए। आइए उनके पांच सबसे महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जानते हैं…

सवाल 1 -अग्निवीरों की ट्रेनिंग एक या तीन महीने की होगी। आर्मी चीफ ने कहा है कि दिसंबर में ट्रेनिंग शुरू होगी और मार्च तक तैनाती हो जाएगी। आखिर इतनी जल्दी रेडार से लेकर पनडुब्बी तक का कठिन प्रशिक्षण कैसे दिया जा सकता है?

डोभाल – यह कितना बड़ा विरोधाभास है कि भारत की आबादी दुनिया में सबसे युवा है लेकिन उसकी सेना सबसे ज्यादा उम्रदराज है। अग्निवीर से कभी पूरी आर्मी नहीं बनेगी। हम अग्निवीरों को चार वर्ष तक परखेंगे और तब पता चलेगा कि वो कौन से 25 प्रतिशत अग्निवीर हैं जिन्हें आगे ले जाना है। परामेंट सर्विस वाले अग्निवीरों को हर तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसलिए यह मत समझिए कि भारतीय सेना चार वर्ष की सेवा वाले अग्निवीरों के भरोसे ही रहेगी बल्कि भारतीय सेना क्रीम सोल्जरों से मिलकर बनेगी।

सवाल 2 – चार वर्ष के बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों का क्या भविष्य होगा?

डोभाल – सोचिए 22-23 वर्ष का युवक चार वर्ष अग्निवीर के रूप में गुजारकर जॉब मार्कट में आया है। उसकी तुलना उस युवक से कीजिए जो अग्निवीर नहीं बना। जो अग्निवीर अपने प्रतिस्पर्धी के मुकाबले हर मोर्चे पर आगे रहेगा। इसलिए उसके पास कोई रास्ता बंद नहीं हुआ है। उसके पास करीब 11 लाख रुपये भी हैं। अगर वह चाहे तो पढ़ाई कर सकता है, कोई बिजनस कर सकता है। पहले का जमाना अलग था। उस वक्त सैनिक रिटायर होने के बाद अपने गांव चला जाता था और वहां अपनी जमीन से अन्न उपजाता था और पेंशन से बाकी खर्चे निकल जाते थे। आज वो हालात नहीं रह गए हैं।अब पेंशन से गुजारा नहीं हो सकता है, इसलिए उसे दूसरा करियर चुनना ही पड़ेगा। मान लीजिए कि चार वर्ष की जगह पहले की तरह ही 12-15 वर्ष की नौकरी हो। तब वह 34-35 वर्ष में रिटायर होगा। तब उसके लिए दूसरे करियर की गुंजाइश खत्म हो जाएगी और पेंशन से गुजारा होगा नहीं। इसलिए अगर हम अग्निवीरों को चार वर्ष बाद रिटायर कर देते हैं तो वह दूसरा करियर बनाने में सक्षम होगा और वह पेंशन पाने वालों से बेहतर जिंदगी जी सकेगा। पहला अग्निवीर आज से पांच साल बाद रिटायर होगा। तब तक भारत 5 ट्रिलियन की होगी। प्राइवेट सेक्टर नई गति से बढ़ेगा, डिफेंस इंडस्ट्री का तेजी से विस्तार हो रहा है, उन सबको ट्रेंड हेंड चाहिए होंगे। सबसे बड़ी बात है कि अग्निवीरों की उम्र वैसी होगी कि उन्हें आराम से नौकरी मिल जाएगी।

सवाल 3 – चार साल वर्दी पहनने वालों को समाज में वह सम्मान नहीं मिलेगा जो पुराने सैनिकों का हुआ करता था।

डोभाल – यह भी एक भ्रम है। अग्निवीर गांव लौटेंगे तो उनका वही सम्मान मिलेगा क्योंकि वह कौशल और अनुशासन के साथ लौटेंगे और समाज को भी बदलाव करेंगे।

सवाल 4 – जब बदलाव इतना ही जरूरी है तो फिर इतना विरोध क्यों हो रहा है?

डोभाल – हर विरोध गलत मंशा से ही नहीं हो रहा है। कई लोग जो चिंता जता रहे हैं, उन्होंने देश के लिए अपनी जान की बाजी भी लगाई थी। उन्हें एक अनजाना भय है। उन्हें लगता है कि इतना बड़ा बदलाव से कुछ गड़बड़ नहीं हो जाए। वो चाहते हैं भारतीय सेना दिन-ब-दिन मजबूत बने और इसके कमजोर होने का कोई खतरा नहीं रहे। इस कारण वो यथास्थिति में रहना चाहते हैं। विरोध करने वाला एक दूसरा वर्ग है जिसे न देशहित का ख्याल है और न वह देश के लिए सोचता है।

सवाल 5 – कुछ नेता हैं जो अंदेश जता रहे हैं कि चार साल के बाद रिटायर होने वाले अग्निवीर समाज के लिए खतरा हो सकते हैं। आपको उनका डर थोड़ा सा भी सही लगता है या फिर उसे निराधार मानते हैं?

डोभाल – यह बिल्कुल निराधार है। मैं सुरक्षा क्षेत्र में 50 वर्षों से सेवा दे रहा हूं। मैं अपने अनुभवों के आधार पर कहता हूं कि समाज में शांति तभी होती है जब नागरिक कानून का पालन करते हैं। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि सेना का अनुशासन सीखकर लौटे अग्निवीर न केवल कानून का सबसे ज्यादा सम्मान करेंगे बल्कि पूरे समाज पर अपनी छाप छोड़ेंगे। इसलिए यह कहना कि अग्निवीर समाज के लिए घातक हो सकते हैं, यह बिल्कुल उल्टा है। वो समाज की शांति के गारंटी देंगे।

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