ब्यूरो,
राज नर्सिंग स्कूल ऑफ पैरामेडिकल कॉलेज का संचालक अभिषेक यादव गिरफ्तार-
फर्जी मान्यता पर जालसाजी के आरोपित राज नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज के संचालक अभिषेक यादव को बुधवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया।लखनऊ से आई पुलिस टीम गोरखपुर कोतवाली पुलिस की मदद से अभिषेक को दुर्गाबाड़ी स्थित उसके घर से पकड़कर ले गई। गोरखपुर के कोतवाली, पिपराइच थाना के अलावा लखनऊ के हुसैनगंज में अभिषेक पर जालसाजी सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज है।
जानकारी के मुताबिक, शासन के फर्जी पत्र का इस्तेमाल कर उसने मान्यता पाने की दलील देकर विद्यार्थियों का दाखिला अपने शिक्षण संस्थान में लिया था।
मामले की जानकारी होने के बाद शासन की ओर से संयुक्त सचिव अनिल सिंह ने गोरखपुर के कोतवाली थाने में आठ जनवरी को केस दर्ज कराया था। इसके बाद छात्रों ने कई बार जगह-जगह प्रदर्शन किया।गोरखनाथ मंदिर के बाहर प्रदर्शन को लेकर छात्रों पर केस भी दर्ज किया गया था। गोरखपुर पुलिस उसकी तलाश में थी कि इसी बीच लखनऊ के हुसैनगंज थाने में भी उसके खिलाफ यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी के सचिव आलोक कुमार ने गबन और जालसाजी का केस दर्ज करा दिया। बुधवार को लखनऊ के हुसैनगंज कोतवाली की पांच सदस्यीय टीम अभिषेक के दुर्गाबाड़ी स्थित आवास पर पहुंची और गिरफ्तार करके लखनऊ लेकर चली गई। एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
मान्यता के लिए फर्जी लेटरहेड का किया इस्तेमाल –
माल एवेन्यू में यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी का दफ्तर है, जहां आलोक कुमार सचिव हैं। उनके मुताबिक 28 जनवरी को जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी गोरखपुर केएन बरनवाल को एक पत्र मिला था, जिसमें गोरखपुर के दुर्गाबाड़ी स्थित राज स्कूल ऑफ नर्सिंग पैरा मेडिकल कॉलेज को लाभ देने के लिए कहा गया था। यह लेटर मिलने पर केएन बरनवाल लखनऊ पहुंचे थे। उन्होंने सचिव से मुलाकात होने पर उन्होंने ऐसा पत्र जारी करने से इनकार किया था। आलोक कुमार के अनुसार जिस लेटरहेड का इस्तेमाल किया गया है, उसका इस्तेमाल वर्ष 2020 में बंद हो चुका है। ऐसे में पैरा मेडिकल कॉलेज को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी कागज बनाए गए थे। इंस्पेक्टर हुसैनगंज देवेंद्र विक्रम सिंह के अनुसार राज स्कूल ऑफ नर्सिंग एंड पैरा मेडिकल के अधिकारी, कर्मचारी और यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी के अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
बंद रखता था मोबाइल फोन, दरवाजा तोड़कर घुसी पुलिस
बताया जा रहा है कि अभिषेक यादव अपना मोबाइल फोन बंद रखता था। बात करने के लिए वह व्हाट्सएप काल का इस्तेमाल करता था। बुधवार को भी पुलिस टीम जब पहुंची तो उसका मोबाइल फोन नहीं मिल रहा था। बुलाने पर भी बाहर नहीं आया। उसके अंदर होने की पुष्टि पर टीम दरवाजा तोड़कर दाखिल हुई और उसकी गिरफ्तारी की।
पिपराइच थाने में 17 मार्च को दर्ज हुआ था केस
राज नर्सिंग एंड पैरामेडिकल कॉलेज जंगल अहमद अली शाह तुरा बाजार स्थित संस्था पर 17 मार्च को केस दर्ज किया गया था। यह केस तहसीलदार सदर वीरेंद्र कुमार गुप्ता की तहरीर पर हुआ था। तहसीलदार सदर ने तहरीर में लिखा था कि राज नर्सिंग एंड पैरा मेडिकल कॉलेज ने वर्ष 2018-19, 2019-20, 2020-21, 2021-22 में छात्र-छात्राओं से एएनएम, जीएनएम, बीएससी नर्सिंग में प्रवेश के लिए मनमाना शुल्क वसूला है। पिछले चार वर्षों में कॉलेज के किसी भी छात्र को कोई डिग्री नहीं दी गई है। कॉलेज ने अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ किया है। सीएमओ ने कॉलेज की जांच कराई तो मान्यता फर्जी पाई गई। कूटरचना करके छात्र-छात्राओं को गुमराह किया गया है। इसी तहरीर के आधार पर केस दर्ज हुआ था।
गोरखपुर में दर्ज केस में ले लिया था स्टे, दाखिल है चार्जशीट –
गोरखपुर में दर्ज मुकदमों में अभिषेक यादव ने हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे लिया था। इस वजह से कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तारी नहीं की थी और आरोपित बनाते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। इंस्पेक्टर कोतवाली कल्याण सिंह सागर ने बताया कि आरोपित अभिषेक ने कोर्ट से गिरफ्तारी पर गोरखपुर में दर्ज मामले में स्टे लिया था। विवेचना पूरी कर कोर्ट में चार्जशीट भेजी जा चुकी है।