ब्यूरो,
नवजात को ‘आयुष्मान’ बनाने में मददगार बना एसएनसीयू
• नवजात शिशुओं के लिए संकटमोचक बन रही यह विशेष यूनिट
• तीन वर्ष में दो हजार से अधिक मासूमों की बचा चुकी है जान
• नवजात शिशुओं का गहन चिकित्सा कक्ष में होता है मुफ्त उपचार
वाराणसी, 11 जनवरी 2022 ।
चौबेपुर के संतोष के घर विवाह के आठ वर्ष बाद बेटे (पहली संतान) का जन्म हुआ । इससे घर-परिवार में खुशी का माहौल था | इसी दौरान अचानक पता चला कि नवजात को तेज बुखार है। बच्चे को फौरन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने फौरन जिला महिला अस्पताल के “सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट” (एसएनसीयू) ले जाने की सलाह दी। एसएनसीयू में बच्चे के भर्ती होते ही वहां मौजूद विशेषज्ञ डॉक्टर उसके इलाज में जुट गए। दो-तीन दिन बाद ही बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हो गया, तब जाकर संतोष के चेहरे पर रौनक लौटी।
बडागांव निवासी पेशे से बढ़ई अशोक की पत्नी ने बेटी को जन्म दिया। दो दिन बाद ही बच्ची का शरीर पीला दिखने लगा। तबियत बिगड़ती देख बेटी को लेकर वह समीप के नर्सिंगहोम में पहुंचे, जहां इलाज पर लंबा खर्च बताया गया | इससे चिंतित अशोक पड़ोसी की सलाह पर बेटी को जिला महिला चिकित्सालय के एसएनसीयू में भर्ती कराया। दस दिनों तक चले उपचार के बाद बेटी की जान बच गई वह भी बिना खर्च के। पूरा उपचार निःशुल्क हुआ।
यह कहानी सिर्फ संतोष और अशोक की ही नहीं है बल्कि जिला महिला चिकित्सालय में स्थित “सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट” (एसएनसीयू) में हर रोज कोई न कोई माता-पिता अपने नवजात को लेकर आते हैं और यहां के चिकित्सक संकट में पड़े उनके बच्चे की जान बचाते हैं। एसएनएसीयू की प्रभारी व बालरोग इकाई की वरिष्ठ चिकित्सक डा. मृदुला मल्लिक बताती हैं कि तीन वर्ष में इस केंद्र पर 2347 नवजात भर्ती हो कर स्वस्थ हो चुके हैं । उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में 773 बच्चे, वर्ष 2020 में 886 बच्चे और वर्ष 2021 में 688 बच्चे एसएनसीयू में भर्ती किए गए ।
क्या है एसएनसीयू
“सिक न्यूबर्न केयर यूनिट” नवजात शिशुओं के इलाज के लिए आधुनिक व्यवस्था है। यह विशेष वार्ड एक माह तक के उन बच्चों के लिए बनाया गया है जो समय से पहले पैदा हुये हों अथवा कम वजन के हों, जिन बच्चों को सांस लेने में समस्या होती है। इसके अलावा एक माह तक के बच्चों को अन्य बीमारियां होने पर उनका निःशुल्क इलाज किया जाता है। यहां बच्चों के लिए चौबीस घंटे आॅक्सीजन की व्यवस्था उपलब्ध है। यही नहीं मौसम के अनुसार उनके लिए वातावरण ठंडा व गर्म रखने की भी व्यवस्था है। यहां रेडिएंट वार्मर (बच्चों को गर्म रखने के लिए), फोटो थैरेपी (पीलिया पीड़ित बच्चों के लिए), एक्यूवेटर (कम वजन वाले बच्चों के लिए), एसी व हीटर भी लगे है।
इन रोगों का होता है उपचार
प्री-मेच्योर बेबी, न्यूमोनिया, जांडिस, श्वांस संबंधित बीमारियां, कमजोर व कुपोषित बच्चे
बढ़ेंगे पांच और बेड
जिला महिला चिकित्सालय में स्थित “सिक न्यूबार्न केयर यूनिट” वर्ष 2013 में शुरू हई थी । वर्त्तमान में यहां बच्चों को भर्ती करने के लिए सात बेड हैं। एसएनसीयू प्रभारी डा. मृदुला मल्लिक बताती हैं जरूरतों को देखते हुए यहां बेड़ बढ़ाने के लिए शासन से अनुरोध किया गया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। जल्द ही पांच और बेड बढ़ने वाले हैं और यहां बेड की संख्या अब 12 हो जाएगी।
बी.यच.यू. में भी है यस.यन .सी.यू
बीयचयू के सर सुन्दर लाल चिकित्सालय में भी 75 बेड का यसयनसीयू है। इसमे 25 बेड राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन के तहत आरक्षित हैं, जहाँ एक माह तक के बच्चों का निःशुल्क उपचार होता है।