मुलायम सिंह यादव को एकता का बर्थ डे गिफ्ट नहीं दे पाए अखिलेश और शिवपाल

ब्यूरो,

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के मौके पर सपा की ओर से उन्हें एकता का गिफ्ट दिए जाने की उम्मीद थी, लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो सका है। नेताजी के जन्मदिन के मौके पर बेटे अखिलेश यादव और उनके भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ आने की बातें हो रही थीं, लेकिन ये अटकलें अब तक गलत साबित होती ही दिखी हैं। एक तरफ अखिलेश यादव लखनऊ स्थित पार्टी के मुख्यालय पहुंचे और मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद लिया तो वहीं शिवपाल यादव राजधानी से दूर गांव में दिखे। उन्होंने सैफई में केक काटकर मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन मनाया है।

लखनऊ में अखिलेश यादव के अलावा उनके एक और चाचा रामगोपाल यादव भी साथ थे। उन्होंने भी मुलायम सिंह यादव का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। भले ही लखनऊ से सैफई तक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन को लेकर सपाइयों में उत्साह देखने को मिला, लेकिन चुनावी जंग से पहले एकता के ऐलान की उम्मीदें पूरी नहीं हो सकीं। ऐसे में मुलायम सिंह यादव को समाजवादी पार्टी एक बड़ा गिफ्ट देने से चूकती नजर आई। इससे पहले ये कयास लगाए जा रहे थे कि नेताजी के जन्मदिन के मौके पर अखिलेश यादव और शिवपाल साथ नजर आ सकते हैं।

शिवपाल यादव कई बार दोहरा चुके हैं कि वे समाजवादी पार्टी की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं और किसी भी समझौते के लिए तैयार हैं। यही नहीं अखिलेश यादव भी एक बार कह चुके हैं कि चाचा शिवपाल यादव और उनके समर्थकों का पार्टी में पूरा सम्मान किया जाएगा। ऐसे में यह उम्मीद थी कि चाचा और भतीजा के बीच कोई समझौता हो सकता है, लेकिन अब तक कोई ऐलान नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कुछ सप्ताह का वक्त बचा है और दोनों के बीच किसी समझौते में देरी से समाजवादी पार्टी के लिए संकट बढ़ सकता है।

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अखिलेश यादव ने 2017 और 2019 के चुनावों में शिवपाल यादव की ताकत को भांप लिया है और वह ज्यादा असर छोड़ने में कामयाब नहीं रहे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव जानते हैं कि शिवपाल यादव की राजनीतिक ताकत सपा के बिना बेहद कम है। ऐसे में वह शिवपाल यादव को महत्व देकर उनकी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं। इसके अलावा विलय की स्थिति में भी उनके समर्थकों को ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं है। अखिलेश यादव की रणनीति है कि शिवपाल यादव को अपनी ही शर्तों पर साथ लाएं ताकि ज्यादा कुछ देना न पड़े।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *