ब्यूरो,
कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या के मामले में अब सिर्फ एक आरोपित दरोगा विजय यादव की गिरफ्तारी बाकी है। पांच आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक विजय यादव की गिरफ्तारी के बाद एसआईटी एक साथ सभी 6 आरोपितों को रिमांड पर ले सकती है। इसके लिए एसआईटी ने अपनी तैयारियां शुरू भी कर दी हैं।
भी आरोपितों के बयानों का अध्ययन करने के बाद उनके बयान में अंतर को रिमांड पर लेने के बाद दूर करने की तैयारी है। वहीं इसी के साथ एक बार फिर सीन रिक्रिएट भी कराया जा सकता है। रिमांड के दौरान सभी आरोपितों को एक साथ बैठाकर एसआईटी यह जानने की कोशिश करेगी कि वारदात में किसकी क्या भूमिका रही? साथ ही आरोपितों और चश्मदीदों के बयानों का भी मिलान कराया जाएगा। सभी बातें पूरी तरह स्पष्ट होने के बाद ही इस मामले की चार्जशीट की धाराओं पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
दरअसल, मनीष गुप्ता की हत्या के बाद इस मामले में मृतक की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की तहरीर पर पुलिस ने 6 पुलिस वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का केस दर्ज किया है। लेकिन अब तक की जांच में एसआईटी को हत्या की इरादे से पुलिस वालों के होटल में चेकिंग करने के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि गैर इरादतन हत्या के एक नहीं बल्कि एसआईटी ने प्रर्याप्त सबूत जुटा लिए हैं। अब तक की जांच में यह भी सामने आ गया है कि इस हत्याकांड में सिर्फ एक दो पुलिसवाले ही नहीं बल्कि उनके अलावा होटल कर्मचारी और अन्य पुलिसवाले भी किसी न किसी रूप में शामिल रहे। साथ ही घटना के बाद जानबूझकर सबूत भी मिटाए गए।
मनीष हत्याकांड में जेल गए इंस्पेक्टर जेएन सिंह, दरोगा अक्षय मिश्रा, राहुल दुबे, सिपाही प्रशांत कुमार और हेड कांस्टेबल कमलेश यादव की गुरुवार को किसी से मुलाकात नहीं हो पाई। दो दरोगा फल-मिठाई लेकर पहुंचे थे और मुलाकात करना चाहते थे लेकिन जेल प्रशासन ने मिलने नहीं दिया। मिठाई लौटा दी और फल अंदर भेजवा दिया।
वहीं दूसरी तरफ कमलेश यादव की बुधवार को जेल में पहली रात थी लिहाजा अन्य पुलिसवालों की अपेक्षा की पूरी रात बेचैनी के रूप में ही बीती। नेहरू बैरक में मौजूद पांचों पुलिसकर्मी गुरुवार को भी कुछ लोगों के मिलने की उम्मीद लगाए हुए थे।
मनीष के दोस्त हरबीर सिंह और प्रदीप सिंह के अलावा होटल कर्मचारी आदर्श पांडेय को एसआईटी चश्मदीद मान रही है। सामने आए तथ्यों में होटल कर्मचारी की भूमिका भी संदिग्ध मिली है। ऐसे में इंकार नहीं किया जा सकता कि एसआईटी कर्मचारी को मिलीभगत तो मालिक को तथ्य छिपाने में आरोपी बना सकती है।
अब चार्जशीट की बारी
यही वजह है कि एसआईटी ने इस मामले में सबूत मिटाने की आईपीसी की धारा 201 और सभी के साथ मिलकर घटना को अंजाम देने की धारा 34 बढ़ा दी है। अब एसआईटी आरोपितों के बयान के बाद इस मामले में शामिल कुछ अन्य लोगों को भी आरोपित बनाने की तैयारी कर रही है। एसआईटी का दावा है कि नियमानुसार 90 दिन के भीतर मामले की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी जाएगी। अब तक की जांच में पर्याप्त सबूत, बयान और गवाह जुटा लिए गए हैं। सिर्फ सामने आई बातों का मिलान कर इस मामले में अंतिम निर्णय लेना ही शेष बचा है।
सुबह से शाम होने पर जब कोई नहीं पहुंचा तब भी सभी आरोपित परेशान दिखे। उन्होंने जेल प्रशासन से भी पूछा कि उनके मुलाकाती नहीं आए क्या? हालांकि दिन में दो दरोगाओं ने मिलने का प्रयास किया था। वह फल और मिठाई लेकर पहुंचे थे। जेल प्रशासन ने उन्हें मिलने नहीं दिया।