कोयला संकट से अतिरिक्त खरीद के बाद भी यूपी में चार से नौ घंटे तक बिजली कटौती

ब्यूरो,

कोयला संकट से राज्य में बिजली की मांग और सप्लाई का अंतर बढ़ता जा रहा है। 18 हजार मेगावाट मांग के सापेक्ष महज 14 हजार मेगावाट की सप्लाई ही राज्य में हो रही है। बिजली कटौती का केंद्र राज्य के ग्रामीण और कस्बाई शहर बने हुए हैं। शेड्यूल से चार से नौ घंटे तक कम बिजली दी रही है। बिजली की कमी को पूरा करने के लिए प्रतिदिन रात में पावर कारपोरेशन आपात स्थिति में अतिरिक्त बिजली खरीद रहा है। शनिवार की रात को ही दो करोड़ रुपये की बिजली खरीदी गई।

उ.प्र. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज का कहना है कि उत्पादन कम होने से सप्लाई में दिक्कतें आई हैं। 14 हजार मेगावाट तक सप्लाई दी जा रही है। बिजली की कमी को मेंटेन करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन साढ़े तीन घंटे और तहसील मुख्यालय व कस्बाई शहरों में औसतन डेढ़ घंटे की कटौती की जा रही है। बिजली की कमी को दूर करने के लिए प्रतिदिन रात में अतिरिक्त बिजली खरीदी जा रही है। शनिवार की रात को दो करोड़ रुपये मूल्य की बिजली खरीदनी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि खदानों से कोयले की आपूर्ति शुरू हुई है लेकिन गति धीमी है। धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो जाएगी। 

हकीकत यह है कि राज्य में चार से नौ घंटे तक बिजली काटी जा रही है। नौ अक्तूबर को दिन और रात मिलाकर बुंदेलखंड इलाके के जिलों में औसतन 6.5 घंटे, पूर्वांचल तथा पश्चिमांचल के जिलों में औसतन पौने चार घंटे बिजली की कटौती गई। पूर्वांचल व मध्य यूपी के तमाम जिलों में बिजली औसतन कटौती 9.09 घंटे की गई थी। दिन के समय बिजली अधिक काटी जा रही है रात के समय कम। जिला मुख्यालयों और महानगरों में कटौती ना करके तहसील मुख्यालय और ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती कर इस कमी की भरपाई की जा रही है। 

पावर कारपोरेशन के तकनीकी जानकारों के मुताबिक देश में बिजली की फ्रीक्वेंसी 50 साइकिल प्रति सेकेंड है। इसे मेंटेन रखना जरूरी है। बिजली की सप्लाई कम होने पर इस सप्लाई को शेड्यूल के मुताबिक बिजली देकर मेंटेन नहीं किया जा सकता है। यह फ्रीक्वेंसी बनी रहे इसके लिए जरूरत के मुताबिक बिजली काटना मजबूरी भी है। बिजली सरप्लस होने से भी ग्रिड के फेल होने का खतरा रहता है। उस स्थिति में अतिरिक्त बिजली की सप्लाई की जाती है। 

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