स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं, मानसिक तनाव दूर भगाएं – सीएमओ

ब्यूरो,

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) पर विशेष
स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं, मानसिक तनाव दूर भगाएं – सीएमओ

मानसिक स्वास्थ्य के लिए मोबाइल की लत और अवसाद को दूर करना जरूरी

सकारात्मक सोच और योग को अपनाकर जीवन में ला सकते हैं बदलाव

किसी भी प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण को हल्के में न लें, मनोचिकित्सक से तुरंत संपर्क करें

एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालाय के कमरा न0 10 में मनोचिकित्सक के साथ लें निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श
वाराणसी, 09 अक्टूबर 2021-

वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना बेहद आवश्यक है। बदलती, व्यस्त जीवनशैली व आधुनिकता से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जनमानस को जागरूक करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस दिवस जन समुदाय को मोबाइल की लत, डिप्रेशन, मादक पदार्थों के सेवन आदि से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव आदि के बारे में बताया जाता है और लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुक किया जाता है। इस वर्ष की निर्धारित थीम ‘मेंटल हैल्थ इन एन अनइक्वल वर्ल्ड यानि एक असमान दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य’ रखी गयी है । इस थीम से आशय है कि मानसिक बीमारी से ग्रसित बहुत लोगों को वह उपचार नहीं मिल पाता जिसके वह हकदार हैं। उनके साथ लगातार भेदभाव भी किया जा रहा है। इसके साथ ही “है” और “नहीं है” के बीच कि खाई भी बढ़ती जा रही है। इसीलिए मानसिक स्वास्थ्य समस्या वाले व्यक्तियों की निरंतर देखभाल आवश्यक है। यह जानकारी अपर निदेशक/मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह ने दी।
डॉ वीबी सिंह ने बताया कि इस बार मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला के साथ ही विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के मरीजों की निःशुल्क जांच करते हुये उन्हें चिकित्सीय परामर्श दिया जाएगा । वहीं 11 अक्टूबर को शहरी सीएचसी शिवपुर में वृहद मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा। उन्होने कहा कि आधुनिक जीवन शैली में खासकर युवाओं में मोबाइल और इंटरनेट में बहुत अधिक समय बिताना और उसकी लत लग जाना, मादक पदार्थों का सेवन करने आदि से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। परिस्थिति ऐसी बन जाती हैं कि किसी बीमारी से ग्रसित अधिक परेशान होकर, किसी भी कार्य में अच्छे परिणाम न आने पर, परीक्षा के समय पढ़ाई का बहुत अधिक दबाव, परीक्षा में अच्छे अंक न आने पर युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य असंतुलित हो जाता है जिसको दूर करना बेहद आवश्यक है। उन्होने सभी अभिभावकों से अपील की है कि अपने बच्चों को मोबाइल की लत से दूर रखें, घरेलू कामों में शामिल करें, किताबें, साहित्य आदि पढ़ने और इंडोर-आउटडोर खेलों के लिए प्रोत्साहित करें।
गैर संचारी रोग (एनसीडी) कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डॉ एके गुप्ता ने बताया कि लोगों में इस बात की जागरूकता बढ़ी है कि जो लोग सिर्फ पागलपन को ही मानसिक रोग समझ रहे थे। उनमें यह समझ बनी है कि मानसिक रोग सिर्फ पागलपन नहीं है बल्कि मिर्गी के दौरे पड़ना, नींद न आना या देर से नींद आना, चिंता, घबराहट, उलझन, उल्टा सीधा बोलना, किसी प्रकार का नशा करना आदि भी इसी श्रेणी में आते हैं | इन सभी लक्षणों के लिए आज जनमानस को जागरूक करने की जरूरत है। सकारात्मक सोच रखने से इन परेशानियों से बचा जा सकता है। उन्होने कहा कि झाड़-फूँक व जादू टोना के प्रभाव से बचें। समय रहते प्राथमिकता के आधार पर किसी डॉक्टर-विशेषज्ञ को जरूर दिखाएँ।
मंडलीय चिकित्सालय में तैनात मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के मनोचिकित्सक डॉ रविंद्र कुशवाहा ने बताया कि दुनियाभर में मोबाइल और इंटरनेट यूजर की तुलना में भारत में बहुत अधिक मोबाइल यूजर हैं और जिनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे मोबाइल की लत के साथ ही साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर बढ़ता जा रहा है। उन्होने बताया कि यदि किसी भी व्यक्ति में गहन चिंतन, अवसाद, नींद न आना, घबराहट आदि के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा के कमरा नंबर 10 में संपर्क कर सकता है, जहां प्रत्येक सोमवार, बुधवार और शुक्रवार ओपीडी में मरीज की निःशुल्क जांच, परामर्श एवं इलाज किया जाता है।

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