ब्यूरो नेटवर्क
विश्व के सर्वश्रेष्ठ विद्यालय में दाखिला लें शिक्षक, सरकार उठाएगी खर्च
दिल्ली सरकार द्वारा रविवार को त्यागराज स्टेडियम में शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में 122 शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अतुलनीय कार्यों के लिए राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शिक्षकों को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, शिक्षा सचिव एच. राजेश प्रसाद, शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय, शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा और शिक्षा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सम्मानित किया गया। इस समारोह के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़े भागीदार होते हैं। वे अपने काम से हज़ारों जिंदगियों को प्रभावित करते हैं। शिक्षक दिवस के अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने यह घोषणा की कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले कोई भी शिक्षक यदि विश्व की सर्वश्रेष्ठ 100 युनिवर्सिटी में पढ़ाई करना चाहते है तो वो अपनी प्रतिभा दिखा कर वह दाखिला ले दिल्ली सरकार उनका पूरा खर्च उठाएगी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 5 सालों में हमनें अपने शिक्षकों और प्रिंसिपलों को कैंब्रिज, फ़िनलैंड, सिंगापुर और अमेरिका भेजा है। वहां जिन कोर्स के लिए हमारे शिक्षक गए वो ऐसे कोर्स थे जो इन युनिवर्सिटी नें हमारे लिए बनाये थे। आज दुनिया की तमाम बेहतरीन विश्वविद्यालय अपने खुद के कोर्सेज के लिए जाने जाते हैं। हमें भरोसा है की अगर हमारे शिक्षक उन कोर्सेज के लिए आवेदन करें तो वो अपनी काबिलियत के बल पर चयनित हो सकते हैं। इसलिए हमनें शिक्षक दिवस पर ये फैसला लिया है की हमारे शिक्षक दुनिया की 100 सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग विश्वविद्यालय में शिक्षा के क्षेत्र के प्रतिष्ठित कोर्स के लिए आवेदन करे। अगर वो चयनित हो जाते हैं तो दिल्ली सरकार उनके कोर्स का पूरा खर्चा उठायेगी। साथ ही उन्हें आधिकारिक अवकाश भी दिया जाएगा। इस बाबत अगले कुछ दिनों में शिक्षा विभाग इसके लिए ज़रूरी दिशा निर्देश जारी करेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी अपने शिक्षकों को वर्ल्ड क्लास एक्सपोज़र देना है। वर्ल्ड क्लास एक्सपोज़र के साथ हमारे शिक्षक दिल्ली के बच्चों को वर्ल्ड क्लास एजुकेशन देंगे।
शिक्षकों ने लर्निंग नेवर स्टॉप का संदेश दे जारी रखा पढ़ाना
शिक्षकों द्वारा शिक्षा की बेहतरी के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम देश में पहली बार लगे लॉकडाउन के ठीक एक साल बाद यहां उपस्थित हुए हैं। कोरोना महामारी के कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई क्योंकि स्कूलों के बंद होने के बाद किसी को आईडिया नहीं था कि टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस को कैसे आगे बढ़ाया जाए। लेकिन हमारे स्कूलों के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों ने कठिनाइयों का सामना करते हुए इस स्थिति के जवाब में अविश्वसनीय धैर्य और दृढ़ संकल्प दिखाया। हमारे शिक्षकों ने ‘लर्निंग नेवर स्टॉप’ का संदेश देते हुए सुनिश्चित किया कि कैसे नए माध्यमों और नवाचारों द्वारा अपने छात्रों तक पहुंचकर उनकी पढ़ाई जारी रखी जाए। जिन शिक्षकों को ये तक नहीं पता था कि स्मार्टफोन का प्रयोग कैसे किया जाता है, उन्होंने छात्रों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए स्मार्टफोन का प्रयोग करना सीखा और सुनिश्चित किया कि बच्चों की पढ़ाई न रुके। उनके प्रयास वास्तव में सराहनीय हैं।
राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का योगदान
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का सबसे बड़ा योगदान रहा है। हमारे शिक्षक अपने कामों से लाखों जिंदगियों को प्रभावित करते है। हमारे शिक्षक देश की नींव हमारे बच्चों को तैयार करते है। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है ये दिल्ली के टीम एजुकेशन के सामूहिक प्रयासों का नतीजा है। हम शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने का विज़न देखा और हमारे शिक्षकों ने उसे साकार करने का काम किया है।इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शिक्षा विभाग की ई-मैगज़ीन ‘नई उड़ान’ के पहले अंक का विमोचन भी किया। नई उड़ान पत्रिका एक त्रैमासिक विज्ञान पत्रिका है।