ब्यूरो नेटवर्क
राकेश टिकैत ने भू-कानून का समर्थन कर सरकार को दी वार्निंग,कहा- किसान हित में काम करें नहीं तो आंदोलन
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर गरजे। उन्होंने उत्तराखंड सरकार को किसानों और मजदूरों के मुद्दे पर आड़े हाथ लिया। किसान-मजदूरों की दशा में सुधार के लिए उन्होंने पांच सुझाव देते हुए उन्हें लागू करने की मांग की। राज्य की स्थिति की तुलना हिमाचल से करते हुए उन्होंने राज्य में आईं सरकारों को आड़े हाथ लिया। टिकैत ने उत्तराखंड में भू-कानून की मांग पर चल रहे आंदोलन का भी समर्थन किया।
उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ मिलकर राज्य सरकार किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई हैं। पहाड़ में सड़कों किनारों की जमीन बचानी होगी। जिन्हें अभी पूंजी पति खरीद रहे हैं। बोले बाद में किसानों को उन्हें मजबूरी में सड़कों से दूर की जमीनें बेचनी होंगी। उन्होंने राज्य के किसानों से भी जमीन नहीं बेचने की अपील की। किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बुधवार सुबह प्रेस क्लब में पत्रकारों के बीच अपनी बात रखी। सबसे पहले उन्होंने तीनों कृषि बिलों का विरोध किया।
कहा कि सरकार इनमें 18 संसोधन करना चाहती है। बोले इतनी जल्दी संशोधन की जरूरत पड़ी तो बिल किस काम के। कहा कि देश की मंडियां बंद हो जाएंगी तो किसान का क्या होगा। बोले बिहार में ऐसा हुआ है। वहां व्यापारी किसानों का धान 800 रुपए कुतंल खरीद रहे हैं और उसे प्रति कुंतल बड़े मुनाफे पर बेच रहे हैं। कहा कि यह बिल कंपनियों के लिए बने हैं। तभी तो बिल बनने से पहले बड़ी कंपनी के गोदाम तैयार हो गए थे। इसके बाद उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधा। बोले यहां की सरकारों की बेकदरी से राज्य बर्बाद हो गया है।
उन्होंने राज्यों के तराई और पहाड़ी किसान-मजदूरों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया और पांच सुझाव दिए। कहा कि सरकार विलेज टूरिज्म पालिसी लागू करे। ताकि, यहां आने वाले पर्यटक गांवों में रुके। नहीं तो बाहरी राज्यों में बैठे लोगों के होटल में वह ठहरते हैं। बाहर से पर्यटक यहां पैसा खर्च करते जाते हैं, जो वापस बाहर चला जाता है। दूसरे सुझाव में किसानों विशेषकर पहाड़ में फल-सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए ट्रांसपोर्ट सब्सिडी दिए जाने की मांग की।
वहीं राज्य के अंतरराष्ट्रीय बार्डर पर बढ़ते पलायन को गंभीरता से लिया। कहा कि जौनसार बाबर क्षेत्र की तरह ऐसे क्षेत्र के लोगों भी एसटी श्रेणी का दर्जा मिले। नौकरी में हिल पालिसी के तहत पहाड़ के लोगों को पहाड़ पर नौकरी करने पर इसका अलाउंस दिए जाने और एमएसपी लागू करने की मांग की। उनके साथ राज्य के किसान नेता भी मौजूद थे। किसान नेता टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार जब तक तीनों कानून वापस नहीं लेगी, किसान दिल्ली के चारों ओर से घेरा नहीं हटाएंगे।