क्या आइसोलेशन और क्वारंटीन लगभग एक ही बात है? जानें क्या है भ्रम और सच्चाई

 इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के मिथक प्रचलित हो रहे हैं। इन्हें लेकर आम लोगों में काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।

आइसोलेशन और क्वारंटीन लगभग एक ही बात है-
दोनों का अर्थ समान नहीं है। बहुत सारे लोग इन शब्दों को एक-दूसरे की जगह इस्तेमाल कर रहे हैं, पर दोनों में काफी फर्क है। किसी व्यक्ति को सामान्य तौर पर क्वारंटीन तब किया जाता है, जब वह वायरस के संपर्क में आता है, लेकिन उसमें बीमारी के लक्षण नहीं होते। वह संदिग्ध की श्रेणी में होता है। वहीं किसी व्यक्ति को आइसोलेट तब किया जाता है, जब वह वायरस से संक्रमित हो जाता है।
 अभी की स्थिति में फ्लू शॉट किसी को नहीं लेने चाहिए ऐसा नहीं है। यह सही है कि फ्लू शॉट से कोविड-19 से बचाव नहीं होता। बावजूद इसके कुछ लोगों के लिए इसे लगवा लेना बेहतर है। खासतौर पर बुजुर्गों और जिन्हें सर्दी-जुकाम या एलर्जी ज्यादा रहती है। इससे मौसमी फ्लू से बचाव हो सकता है।
 मास्क से 100 प्रतिशत तक बचाव होता है।सर्जिकल मास्क हों, एन-95 हो या घर में बने कपड़े के मास्क, केवल मास्क पहनने से कोविड-19 से शत-प्रतिशत बचाव नहीं हो सकता। इसके अलावा, सभी मास्क सौ प्रतिशत वायरस को फिल्टर नहीं करते। हलकी गुणवत्ता या एक ही सतह के कई कपड़े वाले मास्क तो 60 प्रतिशत तक ही हवा फिल्टर कर पाते हैं। इसलिए बाकी सावधानियां भी जरूरी हैं।

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