दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी गर्भवती को नौकरी में सेवा विस्तार देने से इनकार करना उसे मां बनने का दंड देने के समान होगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज के अंग्रेजी विभाग में पांच साल से कार्यरत महिला प्रोफेसर के मातृत्व अवकाश तथा अन्य लाभों की मांग करने पर कॉलेज ने उनकी नियुक्ति रद्द कर दी थी।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस आशा मेनन ने सहायक प्राध्यापक की अस्थायी नियुक्ति खत्म करने का फैसला रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। साथ ही अदालत ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को भी रद्द कर दिया जिसमें अरबिंदो कॉलेज (सांध्यकालीन) के खिलाफ महिला की याचिका खारिज कर दी गई थी। अदालत ने कॉलेज पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने अधिकारियों को महिला को सहायक प्रोफेसर पद पर तब तक के लिए तुरंत अस्थायी नियुक्ति देने का निर्देश दिया जब तक कि रिक्त पद भरे नहीं जाते।