कबीर खड़ा बाजार में लिए लुकाठी हाथ,
जो घर फूंके अपना चले हमारे साथ..
कबीर खड़ा बाजार में सबकी मांगे खैर,
न काहू से दोस्ती न काहू से बैर
कबीर खड़ा बाजार में लिए लुकाठी हाथ,
जो घर फूंके अपना चले हमारे साथ..
कबीर खड़ा बाजार में सबकी मांगे खैर,
न काहू से दोस्ती न काहू से बैर