गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों से झड़प के बाद चीन की सेना को यह महसूस हुआ है कि उन्हें और बेहतर ट्रेनिंग की जरूरत है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि बीते साल पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई घटना के बाद चीन की सेना को भी यह लगा है कि उन्हें और बेहतर प्रशिक्षण और तैयारियों की जरूरत है। एएनआई से बातचीत में रावत ने कहा कि चीनी सैनिकों की तैयारी छोटे युद्धों के अनुसार है और उन्हें ऊंचे और दुर्गम पहाड़ों पर लड़ाई का ज्यादा अनुभव नहीं है।
रावत ने कहा, ‘भारत से सटी सीमा पर चीन सेना की तैनाती में अब काफी बदलाव हुआ है। खासतौर पर बीते साल मई और जून में गलवान घाटी और उसके आसपास हुए संघर्ष के बाद से ऐसा हुआ है। उसके बाद से उन्हें यह लगा है कि उनको ज्यादा अच्छी ट्रेनिंग और तैयारी करने की जरूरत है।’ एलएसी के आसपास चीनी सेना की गतिविधियों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जनरल रावत ने यह बात कही। 15 जून, 2020 को भारतीय सैनिकों से झड़प के दौरान चीनी सेना को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। चीन की ओर से अपने सैनिकों के मारे जाने की संख्या का खुलासा नहीं किया गया था, लेकिन रूसी एजेंसी ने यह आंकड़ा 50 तक होने की बात कही थी। चीनी सेना को लेकर रावत ने कहा कि उनमें से ज्यादातर शहरी क्षेत्रों से आते हैं और उनकी तैयारी छोटे युद्धों के अनुसार ही होती है। ऐसे कठिन इलाकों में लड़ाई करने और ऑपरेशन का उनके पास ज्यादा अनुभव नहीं है। रावत ने कहा कि भारत सीमा पर चीन की हरकतों पर पूरी निगरानी रख रहा है और किसी भी हरकत का जवाब देने में सक्षम है। भारतीय सेना की तैयारियों को लेकर रावत ने कहा कि तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र काफी कठिन इलाका है। यह पूरी तरह से पर्वतीय क्षेत्र है। इसके लिए विशेष ट्रेनिंग की जरूरत होती है, इसमें हमारे सैनिकों को महारत हासिल है। इसकी वजह यह है कि हमारे यहां पर्वतीय क्षेत्रों में जंग की काफी ट्रेनिंग दी जाती है। हम पर्वतों पर ऑपरेशन चलाते रहे हैं और लगातार हमारी मौजूदगी ऐसे इलाकों में बनी रही है।