स्क्रीन टेस्ट में फेल हो गए थे अमरीश पुरी, ‘मोगैंबो’ को करनी पड़ी थी जीवन बीमा निगम में नौकरी

हिंदी सिनेमा में अभिनेता अमरीश पूरी को हमेशा याद किया जाएगा। वह भारतीय फिल्मों के ऐसे खलनायकों में से एक थे जिसने कभी न मिट वाली छाप छोड़ी है। बड़ा कद और घूमती आंखों के साथ उन्होंने अभिनय की दुनिया वह मुकाम हासिल किया जिसके सपने हर कलाकार देखता है।

नई दिल्ली, जेएनएन। हिंदी सिनेमा में दिग्गज और मशहूर अभिनेता अमरीश पूरी को हमेशा याद किया जाएगा। वह भारतीय फिल्मों के ऐसे खलनायकों में से एक थे जिसने कभी न मिट वाली छाप छोड़ी है। बड़ा कद और घूमती आंखों के साथ उन्होंने अभिनय की दुनिया वह मुकाम हासिल किया जिसके सपने हर कलाकार देखता है। अमरीश पूरी को हिंदी सिनेमा का अमर खलनायक कहा जाता है। गब्बर के बाद मोगैंबो को ही फिल्मी दुनिया का बड़ा खलनायक माना गया।

अमरीश पुरी का जन्म 22 जून, 1932 को पंजाब के जालंधर में हुआ था। शिमला के बीएम कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखने का फैसला। उन्हें कॉलेज के दिनों से ही रंगमंच से बहुत लगाव थी। यही वजह थी कि उन्होंने शुरुआत में वह इससे जुड़े और बाद में फिल्मों की ओर रुख किया। 60 के दशक में अमरीश पुरी ने रंगमंच में अभिनय कर खूब नाम कमाया। उन्होंने सत्यदेव दुबे और गिरीश कर्नाड के लिखे नाटकों में प्रस्तुतियां दीं। रंगमंच पर शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया था।

आगे चलकर अमरीश पुरी ने अपने बड़े भाई मदन पुरी का अनुसरण करते हुए फिल्मों में काम करने के लिए मुंबई का रुख किया। लेकिन पहले ही स्क्रीन टेस्ट में फेल होने के बाद उन्होंने भारतीय जीवन बीमा निगम में नौकरी कर ली। बीमा कंपनी की नौकरी के साथ ही वह नाटककार सत्यदेव दुबे के लिखे नाटकों पर पृथ्वी थियेटर में काम करने लगे। रंगमंचीय प्रस्तुतियों ने उन्हें टीवी विज्ञापनों तक पहुंचाया, जहां से वह फिल्मों में खलनायक के किरदार तक पहुंचे।

अमरीश पुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1971 की प्रेम पुजारी से की। उनका सफर 1980 के दशक में काफी यादगार साबित हुआ था। इस पूरे दशक में उन्होंने बतौर खलनायक कई बड़ी फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी। 1987 में शेखर कपूर की फिल्म मिस्टर इंडिया में मोगैंबो की भूमिका के जरिए वह सभी के दिलों पर छा गए। इस फिल्म में अमरीश पुरी का यह डॉयलॉग ‘मोगैंबो खुश हुआ’ इतना लोकप्रिय हुआ कि इस डॉयलॉग ने उन्हें रातों रात स्टार बना दिया।

1990 के दशक में उन्होंने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, घायल और विरासत में अपनी सकारात्मक भूमिका के जरिए सभी का दिल जीता था। अमरीश पुरी ने हिंदी के अलावा कन्नड़, पंजाबी, मलयालम, तेलुगू और तमिल फिल्मों के अलावा हॉलीवुड फिल्म में भी काम किया। उन्होंने अपने पूरे करियर में 400 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया और बड़े पर्दे पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। आपको बता दें कि रंगमंच की दुनिया में महान हस्तियां अमरीश पुरी का नाटक देखने के लिए आतीं थीं। पद्म विभूषण रंगकर्मी अब्राहम अल्काजी से 1961 में हुई ऐतिहासिक मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और वह बाद में भारतीय रंगमंच के प्रख्यात कलाकार बन गए। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *