RTO में परमिट नवीनीकरण के नाम पर ₹15 करोड़ का हुआ घोटाला, जांच शुरू
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित संभागीय परिवहन कार्यालय में 15 करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया है. ऑडिट में 5500 परमिट नवीनीकरण के नाम पर घोटाला किया गया है. शासन व परिवहन आयुक्त को इसकी रिपोर्ट सौंपी गई है. गबन की रकम का सत्यापन किया जा रहा है. इससे परमिट सेक्शन के पूर्व और वर्तमान जिम्मेदारों में खलबली मची गई है.
आरटीओ के कर्मचारियों ने जुर्माने की रकम का 2 तरीके से गबन किया है. इसमें एक तो पुरानी तारीख में वाहन मालिक से परमिट नवीनीकरण की एप्लिकेशन लेकर और दूसरा मैनुअल तरीके से. और तो और वसूले जुर्माने को भी सरकारी खजाने में जमा नहीं किया गया.
कर्मचारियों ने वाहन परमिट के नवीनीकरण के दौरान 25 रुपये हर दिन के रेट से लगने वाले जुर्माने में पुरानी तारीख के एप्लीकेशन के जरिए खेल किया. ऑडिट टीम ने RTO में वर्ष 2016 की जनवरी से 2020 की जनवरी तक वाहनों के परमिट नवीनीकरण के जुर्माने की रकम को जांचा. इस जांच में पाया गया कि 5500 परमिट नवीनीकरण के जुर्माने की 15 करोड़ रुपए की रकम जमा नहीं की गई है. टीम ने फरवरी में इसकी रिपोर्ट शासन और परिवहन आयुक्त को भेजी.
परमिट सेक्शन के कर्मचारी नवीनीकरण के जुर्माने की रकम मैनुअल काउंटर पर जमा कराते थे, जबकि इसकी फीस परमिट सेक्शन में ऑनलाइन कंप्यूटर में जमा होती थी. इससे जाहिर है कि रकम परमिट सेक्शन से लेकर काउंटर तक के कर्मचारियों के बीच बंट रही थी. शासन ने ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद गबन के सत्यापन के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई है.