नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार की शाम को देश को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार कम रही है. कोरोना की शुरुआत के समय से ही सरकार एक्टिव हैं और महामारी के नियंत्रण के भरसक
1. कोरोना की दूसरी लहर से भारत वासियों की लड़ाई जारी है. दुनिया के अनेक देशों की तरह इस लड़ाई के दौरान बड़ी पीड़ा से गुजरा है. हममें से कई लोगों ने अपने परिचितों और परिजनों को खोया है. ऐसे परिवारों के साथ मेरी संवेदना है. बीते सौ बरसों में आई ये सबसे बड़ी त्रासदी है. इस तरह की महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी और ना अनुभव की थी. इतनी बड़ी महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा है. कोविड अस्पताल निर्माण से लेकर, वेटिंलेटर, टेस्टिंग लैब का नेटवर्क, कोविड से लड़ने के लिए एक नया हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है.
2. दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकलप्नीय रूप से बढ़ गई थी. भारत के इतिसाह में इतनी बड़ी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी. लेकिन सरकार के सभी तन्त्रों को लगाया गया. दुनिया के हर कोने से जहां कहीं से भी उपलब्ध हो सकता था. लाया गया. जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया गया. विदेशों से दवाएं लाई गई. कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल है. मास्क और दो गज की दूरी है. इस लड़ाई में वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच की तरह है. आज पूरे विश्व में वैक्सीन के लिए जो मांग है, उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश और कंपनियां बहुत कम हैं.
3. उन्होंने कहा, कल्पना करिए कि हमारे पास अपनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे देश में क्या होता है. पिछले 60 से 70 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन हासिल करने में दशकों लग जाते थे. पोलियो की वैक्सीन हो, चेचक की हो, हेपटाइटिस की हो. इइसके लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया. 2014 में हमारी सरकार बनने तक भारत में वैक्सीन कवरेज सिर्फ 60 प्रतिशत था. जिस रफ्तार से भारत का
टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा था. उस तरह भारत को शत प्रतिशत टीकाकरण हासिल करने में करीब 40 साल लग जाते.
4. पीएम ने कहा कि हमने मिशन इंद्रधनुष लागू किया और युद्ध स्तर पर वैक्सीन कार्यक्रम चलाने का मिशन मोड चालू किया और सिर्फ 5 से 6 साल में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60 प्रतिशत से 90 प्रतिशत हो गई. यानी हमने टीकाकरण की रफ्तार भी बढ़ाई और बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई कदम उठाए. हमने ऐसा इसलिए किया कि हमें बच्चों की चिंता थी, गरीबों की चिंता थी. हम शत प्रतिशत टीकाकरण की तरफ बढ़ रहे थे कि कोरोना ने हमें घेर लिया.
5. उन्होंने कहा कि दुनिया के सामने सवाल उठने लगे कि भारत इतनी बड़ी आबादी को कैसे बचा पाएगा. लेकिन भारत ने एक साल के भीतर ही दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दी. भारत ने दिखा दिया कि भारतीय किसी से पीछे नहीं है. आज की तारीख में लोगों को 23 करोड़ वैक्सीन दी जा चुकी है. कहा जाता है कि विश्वास से ही सिद्धि मिलती है. हमें पूरा विश्वास था कि हमारे वैज्ञानिक बहुत ही समय में वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर लेंगे. हमारे वैज्ञानिक जब रिसर्च कर रहे थे, हमने लॉजिस्टिक तैयारियां शुरू कर दी थी.
6. पीएम ने कहा कि देश में जब कोरोना के कुछ ही केस थे. देश में वैक्सीन टास्कफोर्स गठित कर दिया गया था. सरकार ने सबको सपोर्ट किया. वैक्सीन निर्माताओं को क्लिनिकल ट्रायल में दी गई. रिसर्च के फंड दिया गया. सरकार कंधे से कंधा मिलाकर चली है. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत हजारों करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं. आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई बढ़ने वाली है. आज देश में 7 कंपनियां वैक्सीन के निर्माण का काम कर रही हैं. तीन और वैक्सीन पर काम चल रहा है. वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए दूसरे देशों से भी वैक्सीन खरीदने पर बात चल रही है. बच्चों के लिए दो वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है.
7. उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक नेजल वैक्सीन पर भी काम चल रहा है. देश को अगर निकट भविष्य में सफलता मिलती है, तो इससे देश के टीकाकरण अभियान में और तेजी आएगी. इतने कम समय में वैक्सीन बनाना, मानवता के लिए बड़ी उपलब्धि है. फिर भी वैक्सीन बनने के बाद दुनिया के कई देशों में टीकाकरण कार्यक्रम अभी शुरू नहीं हो पाया है.