कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर दिन व दिन बढ़ता ही जा रहा है। कोविड की चपटे में आने वाले लोग अब न जाने कितनी ही समस्याओं से जूझ रहे हैं। ब्लड…
कोरोनावायरस की दूसरी लहर (second wave of Coronavirus) ने भारत पर बहुत बुरा असर छोड़ा है। कोविड के नए वेरिएंट अब संक्रमित लोगों में अपने बदले हुए सिम्टम्स का कहर बरपा रहे हैं। प्रतिदिन कोविड के नए सिम्टम्स ने देश के हेल्थ केयर सिस्टम को घुटनों पर लाकर रख दिया है। चूंकि देश के बड़े-बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है, इसलिए वायरस का म्यूटेशन पहले की तुलना में और अधिक विनाशकारी साबित हो रहा है। कोविड में डायबिटीज, हार्ट अटैक, ब्लड क्लॉटिंग के बाद अब फंगल इनफेक्शन की शिकायतें आ रही हैं।
ये नया सिम्टम्स लोगों में डर पैदा कर रहा है। इस बीमारी को Mucormycosis के नाम से जाना जाता है और तमाम अस्पतालों में भर्ती मरीजों में ये सिम्टम्स देखने को मिल रहे हैं। म्यूकरमाइकोसिस के तेजी से बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए गुजरात में ऐसे रोगियों के लिए अस्पतालों में अलग वार्ड स्थापित करना शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं क्या म्यूकरमाइकोसिस औक इससे बचने के लिए क्या बरतें सावधानियां।
क्या है Mucormycosis?
म्यूकरमाइकोसिस (Mucormycosis) इंफेक्शन एक गंभीर बीमारी है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती है जिसे आम बोलचाल की भाषा में ब्लैक फंगस (Black fungus) कहा जाता है। ब्लैक फंगस मरीज के दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है। इस बीमारी में कई मरीजों के आंखों की रोशनी जा चुकी है।
वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी के गलने की भी शिकायतें हैं। इसके अतिरिक्त भी तमाम दूसरी परेशानियां हैं। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।
स्किन इंफेक्शन और ब्लैक फंगस में अंतर
ब्लैक फंगस एक आंतरिक फंगल संक्रमण है, जबकि त्वचा पर होने वाला फंगल इंफेक्शन गुच्छे , गांठ या स्किन के बीच दिखता है। इसमें स्किन पर खुजली होती है, लेकिन ट्रीटमेंट लेने से ठीक हो जाता है। जबकि ब्लैक फंगस की चपेट में आने से मरीज की मौत भी हो सकती है।
ब्लैक फंगल इंफेक्शन के लक्षण
ब्लैक फंगस की शिकायतें अक्सर कोविड रिकवरी के बाद आ रही हैं। इसके कई सिम्टम्स (Black fungus symptoms) हैं, जैसे दांत दर्द, दांत टूटना, जबड़ों में दर्द, दर्द के साथ धुंधला या दोहरा दिखाई देना, सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी होना आदि। इसके अलावा इसमें व्यक्ति आंखें लाल और पलकों पर सूजन दिखने लगी है।
नजल कंजेशन यानी नाक के पास लालिमा पड़ जाना। यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (US Centre for Disease Control and Prevention) के अनुसार, Mucormycosis की चपेट में आकर करीब 54 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है।
किन्हें है ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा
Mucormycosis मुख्य रूप से उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो पहले से ही तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं झेल रहे हैं और उनकी दवाएं ले रहे हैं। ऐसी सिचुएशन में मरीज का शरीर कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की क्षमता खो देता है और फंगल इनफेक्शन ऐसे लोगों पर अपना प्रभाव डालना शुरू कर देता है।
ICMR ने जारी की एडवाइजरी
म्यूकर माइकोसिस नाम के फंगस इंफेक्शन के बढ़ते खतरे को देखते हुए अब सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। सरकार ने कहा है कि अनदेखी करने से यह इंफेक्शन जानलेवा हो सकता है।
इसलिए बचाव के कदम उठाना जरूरी है। स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इसकी स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस और मैनेजमेंट को लेकर प्रमाण आधारित एडवाइजरी जारी की है।
ब्लैक फंगस से बचाव के तरीके
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर कुछ बातों का ध्यान दें तो ब्लैक फंगस से बचा जा सकता है। इसके लिए डायबिटिक लोग और कोरोना से ठीक हुए लोग ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें। स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का पूरा ध्यान रखें या फिर बंद ही कर दें। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान स्टेराइल वॉटर का प्रयोग करें।
इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का इस्तेमाल करना बंद कर दें। इसके साथ ही एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाइयों का सावधानी से इस्तेमाल करें। खून में शुगर की मात्रा (हाइपरग्लाइसेमिया) नियंत्रित रखें।