बीपीसीएल की ऑक्सीजन सिलेंडर बनने से पहले खत्म

बीपीसीएल (भारत पंप एंड कंप्रेसर लिमिटेड) पहले से ही बीमार थी। उसे आर्थिक पैकेज के वैक्सीन की जरूरत थी। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर ने सांसों पर संकट डाला तो ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी होने लगी। कंपनी के पास सिलेंडर बनाने का तकनीकी हुनर था इसलिए उम्मीद की नई किरण जगी। कंपनी में आनन-फानन में अनुपयोगी सिलेंडरों को प्राणवायु भरने लायक बनाने का प्रयास शुरू हुआ। एक तरफ प्रशासन जल्द से जल्द सिलेंडर चाह रहा था दूसरी तरह बीपीसीएल में ताला लगाने की प्रक्रिया भी चल रही थी। अंततः सिलेंडर बनने से पूर्व ही कम्पनी की ऑक्सीजन खत्म हो गई, यानि यहां के बचे हुए कर्मचारियों को भी सेवामुक्त कर दिया गया।इसी के साथ नैनी औद्योगिक क्षेत्र में जिन तीन प्रमुख सार्वजनिक कम्पनियों का देश-विदेश में नाम था उसकी अंतिम कड़ी भी टूट गई।

एक पखवारे में 94 कर्मचारी सेवामुक्त

500 एकड़ में फैली कंपनी की सबसे बड़ी ताकत यहां के तकनीकी रूप से दक्ष कर्मचारियों की फौज थी। सूत्रों के अनुसार एक पखवारे के अंदर लगभग 94 कर्मचारियों को सेवामुक्त कर दिया गया। इसमें पहली बार 69 और दूसरी बार लगभग 25 लोगों की छुट्टी कर दी गई। बचे हुए लगभग 35 कर्मचारी व अधिकारी कंपनी के बन्द होने की प्रक्रिया का निस्तारण करेंगे।

ऑर्डर के बीच सेवामुक्ति को प्रक्रिया भी शुरू

ऑक्सीजन सिलेंडर की बढ़ती मांग को देखते हुए बीपीसीएल को 2500 सिलेंडर बनाने का ऑर्डर मिला था। फिर यह जिम्मेदारी भेल की वाराणसी इकाई को सौंप दी गई। इस बीच बचे कर्मचारियों के सेवा मुक्ति का आदेश आने से उम्मीदों पर पानी फिर गया।

कम्प्रेशर बनाने वाली देश की इकलौती कंपनी

बीपीसीएल कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष फूलचंद दुबे ने बताया कि उच्च कोटि के कम्प्रेशर बनाने वाली देश की यह इकलौती कम्पनी थी। 51 वर्ष पुरानी इस कंपनी में बोफोर्स के उपकरण भी बनाए जाते थे। कंपनी को बचाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष किया गया लेकिन सरकार की ओर से सार्थक पहल नहीं ही पाई ।

इनका कहना है

ऑक्सीजन सिलेंडर बनने से संबंधित प्रक्रिया अभी रुकी हुई है। इसे बनाने में समय लगेगा। अनुभवी कर्मचारियों के सेवामुक्त हो जाने का भी असर पड़ रहा है। भेल का एक ऑफिस यहां खुला है और उसके बारे में जानकारी नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *