कोरोना के बढ़ते संक्रमण और संक्रमितों के लिये ऑक्सीजन की कमी के मामले सामने आने के बाद लोग अपना श्वसन तंत्र मजबूत रखने के कई जतन कर रहे हैं। योग-प्राणायाम, काढ़े-गिलोय के बाद अब लोगों की पसंद बन आये हैं फाइकस प्रजाति के माइक्रो कारपा पौधे। लगातार बढ़ती मांग का असर यह है कि फाइकस के विकसित पौधों की कीमत 30 हजार तक जा पहुंची है। कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह संक्रमितों का ऑक्सीजन लेवल तेजी से घटने की शिकायतें सामने आयीं, उसने लोगों को अपनी सांसों के लिये ताजी-शुद्ध हवा की तलाश में भी लगवा दिया। ऐसे में फाइकस माइक्रो कारपा के पौधे लोगों के लिये राहत बने हैं।
मूलत: चीन में विकसित हुये फाइकस प्रजाति के ये बोनसाई (आकार में छोटे) पौधे रुद्रपुर में इन दिनों खूब बिक रहे हैं। खास बात यह है कि क्षेत्र की नर्सरियों में ये पौधे करीब आठ-नौ साल पहले ही आ गये थे, लेकिन मांग में ज्यादा तेजी अब कोरोना के बाद आयी है। ‘हिन्दुस्तान’ ने शुक्रवार रुद्रपुर की दो नर्सरियों से जानकारी ली तो पता चला कि इन दोनों से रोज फाइकस माइक्रो कारपा के 10 से 15 पौधे बिक रहे हैं। खरीदार तीन से चार फीट तक विकसित पौधों को तवज्जो दे रहे हैं, जिनके दाम 30 हजार रुपये तक है।
फाइकस माइक्रो कारपा की पौध की कीमत 250 रुपये से शुरू होकर तीन हजार तक जाती है, लेकिन बोनसाई पौधा होने के कारण बेहद छोटे पौधे को पनपने के लिये खासी मेहनत करनी पड़ती है। यही वजह है कि नर्सरी में आने वाले खरीदार अच्छे-खासे विकसित पौधे ही खरीद रहे हैं और इसकी मोटी कीमत भी चुका रहे हैं।
फाइकस माइक्रो कारपा को चीनी बरगद (चाइनीज बनयान) भी कहा जाता है। इसके गुण सामान्य भारतीय बरगद के पेड़ जैसे ही होते हैं, लेकिन बोनसाई होने के कारण इनका आकार छोटा ही रहता है। भारत में पुणे और कोलकाता में फाइकस माइक्रो कारपा के बड़े नर्सरी प्लांट हैं। रुद्रपुर में बरेली से इसकी सप्लाई की जाती है।
फाइकस माइक्रो कारपा सदाबहार पौधा है जो ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा छोड़ता है।इसकी छाल का प्रयोग रक्तविकार, अल्सर, त्वचा की बीमारियां सूजन, जलन जैसे अन्य रोगों में किया जाता है।इस पौधे का उपयोग कुष्ठ रोग, ल्यूकोडर्मा, दांतों के दर्द और अन्य रोगों के उपचार में भी होता है।
इसकी छाल और पत्तियों का इस्तेमाल एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल के रूप में किया जाता है।
फाइकस माइक्रो कारपा ऑक्सीजन लेवल अच्छा रखता है। सदाबहार पौधा होने से उम्र भी लंबी होती है। घर में लगाने से हवा में ऑक्सीजन बढ़ सकती है, संक्रमित के नजदीक यह पौधा रहने से वह भी बेहतर महसूस कर सकता है।
डॉ.शलभ गुप्ता, प्रोफेसर, एसएसपीजी कॉलेज, रुद्रपुर।
फाइकस लंबे समय से हमारी नर्सरी में है, लेकिन तब लोग महंगा होने के कारण इसे नहीं लेते थे। अब कोरोनाकाल में लोगों को इसकी जानकारी मिली तो मांग काफी बढ़ गयी है। ऑक्सीजन की अच्छी मात्रा मिलने के कारण लोग इसे घर में लगा रहे हैं।
राजू, पल्लवी नर्सरी, रुद्रपुर