सहकारिता भर्ती घोटाले में एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ है कि सपा के पूर्व एमएलसी का बेटा सुधीश कुमार और सपा शासनकाल में पंचम तल पर तैनात विशेष सचिव के रिश्तेदार राम प्रवेश ने ही पूरा षड्यंत्र रचा था। एसआईटी ने पूर्व एमएलसी के बेटे को घोटाले में नामजद भी किया है और जल्द ही आईएएस के रिश्तेदार की गिरफ्तारी होगी। खुलासा हुआ है कि सपा ही नहीं बल्कि बसपा की पूर्ववर्ती सरकार में भी इसी गठजोड़ का बोल-बाला था। नतीजतन, बसपा शासनकाल में भी इसी तर्ज पर फर्जीवाड़ा कर भर्तियां हुईं। भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार में भी आरोप लगे लेकिन जांचें नहीं हुईं।
एसआईटी ने भर्ती घोटाले में छह एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें से ग्रामीण सहकारी बैंक में हुई भर्तियों में पूर्व एमएलसी (अब दिवंगत) का बेटा सुधीश कुमार यादव नामजद है। एसआईटी के मुताबिक इनके पिता सहकारिता विभाग से अपर निबंधक के पद से रिटायर हुए और बाद में समाजवादी पार्टी के खासे करीबी हो गए। उन्हें पिछली सरकार में समाजवादी पार्टी ने एमएलसी बनाया। एसआईटी के अधिकारियों का कहना है कि सभी भर्तियों के आदेश इन पूर्व एमएलसी की मनमर्जी पर ही अमल में लाए जाते थे। इन पूर्व एमएलसी के बेटे की भर्ती वर्ष 1984 में हुई थी।
एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ है कि पंचम तल पर तैनात एक पूर्व आईएएस जो सत्ता के खासे करीबी थे, अपने रिश्तेदार राम प्रवेश को ही भर्ती के लिए कंप्यूटर स्कैनिंग आदि के साथ परिणाम बनाने का काम दिलाते थे। उनके ही हुक्म पर वर्ष 2015 से 2017 के बीच अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में भी धड़ल्ले से काम दिलाया गया। फिलहाल राम प्रवेश अभी जेल में है। उसे अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में हुए भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। एसआईटी जल्द ही उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
एसआईटी के अधिकारियों का कहना है कि यही गठजोड़ इटावा, कन्नौज, आजमगढ़ आदि से मंत्रियों, अधिकारियों के नाते-रिश्तेदारों को भर्ती कराने के लिए संपर्क करता और मोटी रकम की वसूली की जाती। चूंकि राम प्रवेश तत्कालीन सरकार में खासा रसूख रखते थे और पंचम तल पर तैनात आईएएस से उनकी रिश्तेदार थी लिहाजा उनका ही दबदबा रहता था। सूची ऊपर से आती और अधिकारियों को उसे समायोजित करना पड़ा। इस वसूली का हिसाब ऊपर तक बताया जाता और एवज में कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने चहेतों-रिश्तेदारों को भर्ती की छूट होती।
एसआईटी की जांच में सामने आया है कि यह गठजोड़ बहुजन समाज पार्टी की सरकार में भी सक्रिय था। सरकार बनने से पहले इन घोटालों की जांच कराने के दावे किए जाते रहे लेकिन सत्तारूढ़ होने के बाद कुछ नहीं हुआ। बसपा शासन काल में सहकारी ग्राम विकास बैंक के एमडी रहे नवल किशोर पर 99 भर्तियां की गई थीं। सहकारिता की शाखा एसआईबी ने उनके खिलाफ एफआईआर की लेकिन भर्तियों की जांच नहीं की गई। उन्हें दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया। इस भर्ती में बांदा, अतर्रा और झांसी के ज्यादातर लोग थे।
भाजपा शासनकाल में भी सेवामंडल पर आरोप लगे थे। इनमें मुख्य रूप से सहकारिता विभाग के अधिकारियों का गठजोड़ सक्रिय रहता था। साथ ही तत्कालीन मंत्री के कुछ नजदीकी रिश्तेदारों पर भी आरोप लगे लेकिन जांच न होने के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
ये भर्तियां भी हुईं विवादित
बसपा शासनकाल वर्ष 2007 से 2012 पद- 1500
सपा शासनकाल-वर्ष 2012-17 पद- 2340
भाजपा शासनकाल–वर्ष 2003 से 05 पद- 1000