भारत में कोरोना के मामले हर दिन बेतहाशा तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में मिला वायरस का नया रूप ज्यादा बड़ी परेशानी का सबब बन रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि देश में तेजी से फैल रहे संक्रमण के लिए कोविड-19 का बी-1.617 वेरिएंट जिम्मेदार है। वायरस का नया रूप शरीर की प्रतिरोध क्षमता को चकमा देने में सक्षम हो गया है। बदलाव के चलते इसके इंसानी कोशिकाओं को संक्रमित करने और संक्रमण फैलाने की क्षमता बढ़ गई है।
अमेरिका स्थित स्क्रिप्स रिसर्च संस्था के अनुसार पहली बार महाराष्ट्र में सामने आए डबल म्यूटेशन वाले वायरस की भारत में 10 प्रतिशत मौजूदगी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, देश में मिल रहे कुल मामलों में वायरस के इस रूप की बढ़ती भागीदारी चिंता बढ़ा रही है। शोधकर्ताओं का मानना है कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के चलते सभी राज्यों से मिलने वाले प्रतिरूपात्मक नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग बेहद जरूरी है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में जीनोमिक्स के प्रोफेसर अरीस कैटजोआर्किस के अनुसार डबल म्यूटेशन वाला वायरस स्थिति को और बिगाड़ सकता है। बी-1.617 उन व्यक्तियों को भी संक्रमित कर सकता है, जिनमें टीका या संक्रमण से एंटीबॉडी बन गई है।
अब तक हुए अध्ययनों में पता चला है कि देश के बड़े हिस्से में ब्रिटेन में मिला वायरस बी-1.617, दक्षिण अफ्रीका का बी-1.351 और ब्राजील का पी-1 फैला है। महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, दिल्ली और कर्नाटक में मिल रहे कुल संक्रमितों में इन विदेशी स्वरूपों का बड़ा योगदान है। इसके बावजूद सबसे ज्यादा चिंता देश में मिले वायरस के रूप बी-1.617 से है।
भारत में मिले वायरस के नए रूप को डबल म्यूटेंट कहा जा रहा है, जबकि इसमें मूल वायरस के मुकाबले 15 म्यूटेशन हैं। इसके स्काइप प्रोटीन में दो चिंताजनक म्यूटेशन-ई484क्यू व एल452आर हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो यह पहली बार है जब किसी वेरिएंट में आनुवांशिक परिवर्तन हुआ है। यह टीका लगवा चुके और संक्रमित हो चुके लोगों में बनी एंटीबॉडी को चकमा दे सकता है। देश में अभी एक फीसदी से कम लोगों की जिनोम स्क्वीवेंसिंग हो रही है। दूसरी लहर के लिए नया वैरियंट कितना जिम्मेदार है, इसके लिए ज्यादा जिनोम जांच की जरूरत है।
महाराष्ट्र में इस जनवरी से मार्च के बीच 61 फीसदी मामलों में बी-1.617 वेरिएंट मिला है। पंजाब में 80 फीसदी मरीज ब्रिटिश वेरिएंट के हैं। नए वेरिएंट कई राज्यों में फैल चुके हैं। इसके अलावा कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रहे मामलों के लिए भी वैज्ञानिक वायरस के विदेशी स्वरूपों को जिम्मेदार मान रहे हैं।