विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा दोबारा बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण लगातार दूसरे साल इस बार भी रद होने की स्थिति बन रही है। लिपूलेख दर्रे से 17 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पार कर होने वाली इस यात्रा का विशेष धार्मिक महत्व है। यदि कैलास मानसरोवर यात्रा नहीं हुई तो यात्रा आयोजक कुमाऊं मंडल विकास निगम को चार करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुकसान होगा। साथ ही इस यात्रा से जुड़े 500 से अधिक स्थानीय लोगों की भी आजीविका सीधे प्रभावित होगी। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते यह यात्रा नहीं हो सकी थी।
1 जून से हर साल उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में लिपूलेख दर्रे से कैलास मानसरोवर यात्रा कराई जाती है। इस संबंध में तैयारियों को लेकर हर साल मार्च तक छह बैठकें अलग-अलग स्तर पर होती थीं। इस बार अब तक यात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय ने यात्रा आयोजक केएमवीएन के साथ एक भी बैठक नहीं की है। देश में तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद इस साल भी यात्रा नहीं होने के आसार बढ़ गए हैं। अनुमान है कि आधिकारिक तौर पर विदेश मंत्रालय इसका जल्द ऐलान कर देगा। वर्ष 2020 में कोरोना के कारण मानसरोवर यात्रा नहीं हो सकी थी।
जनवरी प्रथम सप्ताह से शुरू हो जाती थी तैयारी
सामान्य परिस्थितियों में विदेश मंत्रालय स्तर पर कैलास मानसरोवर के आयोजन संबंधी पहली बैठक जनवरी प्रथम सप्ताह में दिल्ली में यात्रा संचालक केएमवीएन और आईटीबीपी के साथ हो जाती थी। पिथौरागढ़ में भी प्रशासन यात्रा पड़ाव और अन्य सुविधाओं को लेकर तैयारी बैठक करता था। इस बार अप्रैल प्रथम सप्ताह में अब तक कोई बैठक, तैयारी को लेकर नहीं की गई। यात्रियों से ऑनलाइन आवेदन भी जनवरी से पहले ही मांग लिए जाते थे। लेकिन इस बार ऐसा भी नहीं किया गया है।
कोरोना संक्रमण जिस तरह से बढ़ रहा है, ऐसे में इस बार भी कैलास मानसरोवर यात्रा का आयोजन होना संभव नहीं लग रहा है। पिछले साल 2020 में भी कैलास मानसरोवर यात्रा कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गई थी।