दिल्ली समेत भारत के विभिन्न जगहों पर आतंकवादी हमले करने की साजिश रचने के जुर्म में लश्कर-ए-तैयबा के एक पाकिस्तानी आतंकवादी को अदालत ने दस साल कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आतंकवादी के खिलाफ अपराध साबित करने में सफल रहा है।
पटियाला हाउस कोर्ट स्थित अदालत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) मामलों के विशेष न्यायाधीश ने पाकिस्तानी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी बहादुर अली को गैरकानूनी गतविधि रोकथाम अधिनियम की विभिन्न धाराओं, हथियार अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम, विदेशी कानून एवं इंडियन वायरलेस टेलीग्राफी कानून की अलग-अलग धाराओं में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है।
अदालत ने आतंकवादी पर जुर्माना भी लगाया है। एनआईए के मुताबिक, जुलाई 2016 में दर्ज यह मामला पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा भारत में आतंकवादी हमले करने की साजिश रचने से जुड़ा है। एजेंसी ने बताया कि साजिश के तहत बहादुर अली अपने दो साथियों अबू साद और अबू दर्दा के साथ मिलकर गैरकानूनी तरीके से जम्मू-कश्मीर में घुसा ताकि दिल्ली समेत भारत के अलग-अलग स्थानों पर आतंकवादी हमले कर सके। इन्होंने पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित लश्कर के आकाओं के इशारे पर भारत में घुसपैठ की।
बहादुर अली को कुपवाड़ा से गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से बड़ी संख्या में हथियार बरामद किए गए थे। पूछताछ के दौरान अली ने आतंकवादी संगठन में भर्ती, लश्कर के विभिन्न प्रशिक्षण शिविर, हथियार चलाने के लिए आतंकवादियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण, लश्कर के आतंकवादियों द्वारा भारत में आतंकवादी हमले करने के लिए उकसाने और पीओके में लश्कर के लॉन्चिंग पैड की जानकारियों का खुलासा किया था। एनआईए ने जनवरी 2017 में अली के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था।
कुछ समय बाद लश्कर-ए-तैयबा के दो अन्य पाकिस्तानी आतंकवादियों साद और दर्दा को कुपवाड़ा में फरवरी 2017 में एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था। एनआईए ने अनुसार, पूछताछ के दौरान अली के दो साथियों जहूर अहमद पीर और नजीर अहमद पीर को भी गिरफ्तार किया गया था। ये दोनों आरोपी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। आरोपपत्र में नामजद अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है।