भारत में कोरोना की कुल जांच का कुल आंकड़ा शनिवार को दस लाख के पार कर गया। लॉकडाउन के 40 दिनों के भीतर टेस्टिंग की क्षमता पांच गुना बढ़ाकर भारत ने यह मुकाम हासिल किया है।
आईसीएमआर के मुताबिक, 23 मार्च को भारत में 14915 सैंपल की जांच हुई थी, जो एक मई को पांच गुना बढ़कर 74507 प्रति दिन तक पहुंच गई। काबिलेतारीफ बात है कि इसमें से 85 फीसदी जांच सरकारी लैब में की गई है। अगर एक अप्रैल को बात करें तो भारत में 38914 टेस्टिंग हुई थीं।
दस लाख के मील के पत्थर को छूने के साथ भारत में जांच का अनुपात प्रति दस लाख व्यक्तियों में 770 तक पहुंच गया है, जो 25 मार्च को लॉकडाउन के पहले दिन महज 18 ही था। जबकि 14 अप्रैल को लॉकडाउन का पहला चरण खत्म होने तक यह अनुपात 177 तक पहुंच गया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय को उम्मीद है कि भारत रोजाना एक लाख टेस्ट करने की क्षमता अगले हफ्ते तक प्राप्त कर लेगा। यह कोरोना की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग का आंकड़ा है, जिसे डब्ल्यूएचओ ने मान्य किया है। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट सिर्फ निगरानी के लिए है और इससे संक्रमण के ताजा मामलों का पता नहीं चल सकता।
स्वास्थ्य मंत्रालय जांच के लंबित नमूनों की परेशानी पर भी ध्यान दे रहा है। दिल्ली, मध्य प्रदेश और राजस्थान के नमूने सबसे ज्यादा लंबित हैं। नोएडा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल्स में रोज 1000-1100 टेस्ट की क्षमता है, लेकिन यूपी औऱ दिल्ली से बेतहाशा मामले आने से उसके पास नौ हजार सैंपल लंबित हो गए हैं। इसमें पांच हजार के करीब दिल्ली से हैं।