जैविक खेती में प्रमाणीकरण की जरूरत
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जनपद के किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि विभाग द्वारा गुरुवार को प्रेक्षागृह में किसान गोष्ठी आयोजित कर जैविक खेती एवं प्रमाणित बीज उत्पादन की तकनीकियों से किसानों को प्रशिक्षित किया गया।
उप निदेशक कृषि ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण मिट्टी लगातार बीमार होती जा रही है। जिससे उत्पादन प्रभावित होने के साथ ही उत्पाद का सेवन करने वालों के शरीर पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा था। मृदा की सेहत सुधारकर जैविक खेती को बढ़ावा देने के सरकार किसानों की सहायता कर रही हैं। जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि जैविक खेती में प्रमाणीकरण की जरूरत है राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था की स्थापना की गई है जहां पर किसान प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ संदीप कुमार ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए वीजामृत,जीवामृत,पंचगव्य के निर्माण एवं खेती में उसका प्रयोग कर कम लागत में गुणवत्ता युक्त उत्पादन की तकनीकी जानकारी दिया।कृषि वैज्ञानिक डॉ सोमेंद्र सिंह ने प्रमाणित बीज उत्पादन की विस्तार से जानकारी दिया। कृषि वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र रघुवंशी ने जैविक खेती से अधिक लाभ के लिए गो आधारित खेती करने का सुझाव दिया। कृषि रक्षा अधिकारी ने एकीकृत जीव प्रबंधन द्वारा फसलों की सुरक्षा की जानकारी दिया। भूमि संरक्षण अधिकारी प्रथम ने मृदा प्रबंधनए मृदा की जांच कर संतुलित खेती करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता धर्मापुर कृषक उत्पादक संगठन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी संध्या सिंह तथा संचालन उप परियोजना निदेशक ने किया। इस मौके पर राजबहादुर निषाद, त्रिभुवन सिंह, बटेश्वर नाथ, सतईराम, राजेन्द्र प्रसाद सिंह, हीरालाल आदि भारी संख्या में किसान मौजूद रहे।