पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में हर वर्ष बाढ़ से होने वाले नुकसान को बचाने के लिए केन्द्र सरकार यूपी को 550 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देगी। यह आर्थिक सहायता नाबार्ड के माध्यम से दी जाएगी जो नाबार्ड के ग्रामीण अवस्थापना विकास निधि (आरआईडीएफ) के तहत होगी।
इससे प्रदेश की सात बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं को भी गति मिलेगी जो सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की ओर से संचालित की जा रही है। केन्द्र की मंजूरी के बाद वित्त विभाग एवं नाबार्ड के अधिकारियों की बुधवार को हुई उच्चस्तरीय बैठक में इसे मंजूरी भी दे दी गई। इसके तहत प्रदेश के पांच जिलों में बाढ़ नियंत्रण के कार्य कराए जाएंगे जिससे इन जिलों के करीब 500 गांवों को बाढ़ से सुरक्षित किया जा सकेगा।
स्वीकृत राशि से लखीमपुरखीरी के 35 गांव, बहराइच के 146 गांव, गोण्डा के 285 गांव, सीतापुर के 151 गांव और मऊ जिले के 43 गांवों को बाढ़ से सुरक्षित किया जा सकेगा। इन सभी गांवों की आबादी को जोड़ दें तो करीब 10 लाख से अधिक की आबादी बाढ़ की विभीषिका से सुरक्षित हो जाएगी। जानकारों का कहना है कि केंद्र से मिलने वाली राशि से सबसे अधिक पुराने व जर्जर बांधों की मरम्मत की जाएगी।
साथ ही जरूरत के अनुसार इन बांधों की लम्बाई व ऊंचाई में वृद्धि भी की जा सकेगी। इसके अलावा जहां आवश्यकता होगी वहां तक पुराने बंधे का विस्तार किया जा सकेगा या नए बांध का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा सहायता राशि से ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के अन्य कार्य भी पूरे किए जाएंगे। इसमें ग्रामीण सड़क व पूलों के निर्माण के अतिरिक्त लघु सिंचाई के कार्य भी कराए जाएंगे।
इस वित्तीय वर्ष में पहले भी मिली है आर्थिक सहायता
कोरोना काल में प्रदेश के लोगों के साथ-साथ दूसरे राज्यों से आने वालों को रोजगार मुहैय्या कराने के लिए केन्द्र ने करीब 600 करोड़ की आर्थिक सहायता मंजूर की थी। इस राशि से ग्रामीण क्षेत्र के विकास के अन्य कार्य भी संपादित किए गए थे।