कुशीनगर के गुरमिया गांव में चुपके से कराए जा रहे निकाह की सूचना पर लव जिहाद के शक में पुलिस ने छापा मारा तो डर के मारे दूल्हा-दुल्हन भाग खड़े हुए। पुलिस ने मौके से एक मौलवी और एक युवक को थाने लाकर पूछताछ की। बाद में पता चला कि इस मामले का लव जिहाद से कोई लेना-देना नहीं है। लड़का और लड़की दोनों एक ही धर्म के हैं। दोनों, घरवालों की मर्जी के बगैर आजमगढ़ से कुशीनगर आकर चुपके से निकाह कर रहे थे।
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि लड़का और लड़की गुरमिया गांव से बाहर के जरूर हैं लेकिन दोनों अलग-अलग धर्म को मानने वाले नहीं हैं। लड़की आजमगढ़ के आजमगढ़ के मुबारकपुर थाना क्षेत्र की निवासी है और लड़का कसया के ही अहिरौली गांव का। कसया की पुलिस ने पूरी जानकारी मुबारकपुर थाने को दे दी है। पकड़े गए युवक और मौलवी को रिहा कर दिया गया है।
मंगलवार की देर शाम को कसया थानेदार को सूचना मिली थी कि मुबारकपुर से अगवा कर लाई गई लड़की का गुरमिया गांव में निकाह कराया जा रहा है। लड़की के बारे में सूचना दी गई थी कि वह अलग धर्म की है और लड़का अलग धर्म का। पुलिस ने लव जिहाद की आशंका में गुरमिया गांव में एक लड़के के घर छापेमारी की तो दूल्हा और दुल्हन भाग निकले।
जिसका मकान था, वह युवक और मौलवी पुलिस को मिले। दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ के लिए पुलिस थाने ले आई। पुलिस ने पूछताछ के बाद निकाह करने आए लड़के-लड़की का भी पता लगा लिया। दोनों के सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया कि दोनों एक ही धर्म के हैं। मामला, लव जिहाद का नहीं है। कसया पुलिस ने लड़की के बारे में पता करने के लिए मुबारकपुर पुलिस से संपर्क किया तो पता चला कि वहां उसके अपहरण का केस दर्ज कराया गया है।
कसया के थानेदार इंस्पेक्टर संजय कुमार ने बताया कि लड़की के मिलने की जानकारी मुबारकपुर पुलिस को दे दी गई है। वहां से आगे की कार्रवाई होगी। दोनों ने खुद के बालिग होने का भी प्रमाण दिया है। लड़की के परिवार के लोग निकाह के खिलाफ थे, इसलिए दोनों ने यहां से निकाह का निर्णय लिया था। मामले का पटाक्षेप हो गया है। सच्चाई सामने आने के बाद गुरमिया के युवक और मौलवी को थाने से घर भेज दिया गया है।
यूपी में लव जिहाद पर रोक लगाने के लिए योगी सरकार ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ लाई है। पिछले 28 नवम्बर को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी के बाद इसे प्रदेश में लागू कर दिया गया है।
अध्यादेश के मुताबिक अगर कोई जबरन, मिथ्या, बलपूर्वक, प्रलोभन और उत्पीड़ित कर धर्मपरिवर्तन कराता है तो यह अपराध गैरजमानती होगा। ऐसे स्थिति में प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के न्यायालय में सुनवाई की जाएगी। सिर्फ शादी के लिए अगर लड़की का धर्म बदला गया तो न केवल ऐसी शादी अमान्य घोषित कर दी जाएगी, बल्कि धर्म परिवर्तन कराने वालों को दस साल तक जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। अध्यादेश के अनुसार आरोपी को बेगुनाही का सबूत देना होगा कि उसने अवैध या जबरन तरीके से धर्म परिवर्तन नहीं कराया है, धर्म परिवर्तन लड़की को उत्पीड़न करके नहीं किया गया, इसे साबित करने का जिम्मा आरोपी व्यक्ति पर ही होगी।
इस अध्यादेश को विधानमंडल के दोनों सदनों से 6 महीने के अंदर पास करना होगा। माना जा रहा है कि विधानमंडल के आगामी शीतकालीन सत्र में इससे संबंधित बिल योगी सरकार द्वारा पेश किया जा सकता है। यह प्रस्तावित बिल विधानसभा और विधानपरिषद से पास होने के बाद फिर राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। सदन में इस बिल पर हंगामा होना तय माना जा रहा है। सदन के पटल पर विपक्ष सवाल कर सकता है कि कौन सी आपात स्थिति थी कि लव जिहाद को लेकर अध्यादेश लाना पड़ा।