यूपी के जिलाें में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। छह जनवरी तक आंशिक परिसीमन का काम चलेगा। इस समय कई जगह यह प्रक्रिया शुरू हो गई है। आंशिक परिसीमन के बाद कुछ जिला पंचायतों वार्ड खत्म हो सकते हैं। हालांकि यह परिसीमन पूरा होने के बाद भी पता चलेगा कि कहां इस प्रधान का चुनाव होगा और कहा नहीं।
गोरखपुर के डीएम के. विजयेंद्र पांडियन ने मुताबिक परिसीमन के बाद आपत्तियां मांगी जाएंगी। इनके निस्तारण के लिए जिले स्तर पर एक कमेटी का गठन किया गया है। डीएम की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में डीपीआरओ, सदस्य सचिव के रूप में शामिल होंगे। कमेटी में सीडीओ और जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी सदस्य के तौर पर शामिल होंगे।
प्रधानों का कार्यकाल आगामी 25 दिसम्बर को खत्म हो रहा है। मौजूदा ग्राम पंचायतों का गठन 26 दिसम्बर 2015 को हुआ था। वर्ष 2015 के चुनाव में थोड़ा विलम्ब होने पर सहायक विकास अधिकारी पंचायत ही प्रशासक बनाए गए थे। उस वर्ष पंचायतों का कार्यकाल सात नवम्बर को खत्म हो गया था, पंचायतों के चुनाव चल रहे थे, इसलिए 8 नवम्बर से 25 दिसमबर के बीच सहायक विकास अधिकारी पंचायत को ही प्रशासक बनाया गया था। संगठन के प्रवक्ता ललित शर्मा ने पत्र में मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद नई ग्राम पंचायतों का गठन होने तक कार्यवाहक व्यवस्थ बनाए रखने के लिए मौजूदा ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में प्रशासनिक समितियां गठित की जाएं। उन्होंने तर्क दिया है कि कोविड-19 महामारी, पीएफएमएस प्रणाली जैसे नियोजित व अपरिहार्य कारणों के चलते वर्तमान ग्राम पंचायतें लगभग एक साल से अधिक समय से अधिक अंतराल तक विकास व नियोजन प्रक्रिया से वंचित रही हैं। इन हालात में ग्राम पंचायतों में सरकारी कार्मिक को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाना विधि व्यवस्था, निरंतर विकास और व्यापक जनहित में उचित नहीं है।