बिहार चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के आकलन के बाद बीजेपी बाकी दो चरणों की 172 सीटों के लिए अपनी रणनीति व प्रचार अभियान में भी जरूरी बदलाव कर सकती है। भाजपा नेताओं को लग रहा है कि इस चुनाव में नौकरियों व रोजगार का मुद्दा प्रभावी हो सकता है और इस पर उसे लोगों को भरोसा दिलाना ही होगा कि उसकी सरकार बनने पर नौकरियां व रोजगार बढ़ेंगे। फिलहाल उसकी नजर पहले चरण में आज (बुधवार को ) 71 सीटों के लिए होने वाले मतदान पर लगी है कि किस विधानसभा क्षेत्र में किस तरह की वोटिंग होती है।
भाजपा अपने संगठन तंत्र के जरिए हर विधानसभा क्षेत्र से जनता के रुख की जानकारी जुटा रही है कि विभिन्न दलों ने जो वादे किए हैं वह जनता को किस तरह से प्रभावित कर रहे हैं। खासकर नौकरियों को लेकर किए वादों का जनता में कितना असर है? दरअसल राजद के दस लाख सरकारी नौकरियों के वादे को लेकर चिंताएं बढ़ी हुई हैं क्योंकि इससे युवा मतदाता विपक्ष की तरफ जा सकता है। विपक्ष के वादे की काट के लिए भाजपा ने अभियान ते शुरू कर ही दिया है और वह इसकी आलोचना व काट निकालने के बजाए लकीर को बड़ी करने की कोशिश कर रही है।
भाजपा अपने केंद्रीय प्रचारकों के जरिए इस बात को युवाओं तक पहुंचाएगी कि रोजगार को लेकर वह सबसे ज्यादा फिक्रमंद हैं और उसके कार्यकाल में किस तरह से रोजगार का सृजन हुआ है। इसमें विभिन्न स्तरों पर दिए जा रहे आसान कर्ज योजनाओं और सरकारी क्षेत्र में निकाली जा रही नौकरियों का भी जिक्र किया जाएगा। लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि कोरोना काल में रोजगार खोने के बाद अब किस तरह से रोजगार बहाली के लिए तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं।
दरअसल भाजपा नेताओं को लग रहा है कि इस चुनाव में नौकरियों व रोजगार का मुद्दा प्रभावी हो सकता है और इस पर उसे लोगों को भरोसा दिलाना ही होगा कि उसकी सरकार बनने पर नौकरियां व रोजगार बढ़ेगे। फिलहाल उसकी नजर पहले चरण में 28 अक्तूबर को 71 सीटों के लिए होने वाले मतदान पर लगी है कि किस विधानसभा क्षेत्र में किस तरह की वोटिंग होती है। इसके आकलन के बाद पार्टी बाकी दो चरणों की 172 सीटों के लिए अपनी रणनीति व प्रचार अभियान में भी जरूरी बदलाव करेगी।