कोरोना के चलते विश्व अब तक लाखों मौतें देख चुका है और कई देशों का हाल बदतर है। ऐसे में भारत में कम होते दैनिक आंकड़े और बढ़ता रिकवरी रेट राहत की सांस दे रहा है। लेकिन इसके बावजूद रिकवर हो चुके लोगों के लिए रिस्क बरकरार है। डॉक्टरों की राय है कि जो लोग कोरोना वायरस बीमारी (कोविड -19) से रिकवर चुके हैं और उच्च वायु प्रदूषण वाले शहर या क्षेत्र में रहते हैं, उन्हें फ्लू की वैक्सीन ले लेनी चाहिए। वायु प्रदूषण कोविड -19 रोगियों की संवेदनशीलता, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकता है, और चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि यह “लॉन्ग कोविड” के लक्षणों को भी बढ़ा सकता है। ये शब्द कोविड -19 से ठीक होने के बाद भी लगातार हफ्तों और महीनों तक दिखने वाले लक्षणों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
रोम के एक अस्पताल में 143 रोगियों में से 87% रोगियों में रिकवरी के लगभग दो महीने बाद भी कम से कम एक लक्षण पाया गया था। क्लीनिक को खांसी, थकान, दस्त, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द और फेफड़ों, दिल के लक्षणों को लेकर रोगियों से शिकायत मिली थी। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल JAMA के अनुसार, रोम के अध्ययन में क्रॉनिक “लॉन्ग कोविद” के आधे से अधिक पेटेंट के साथ थकान सबसे आम लक्षण है।
बीबीसी समाचार की रिपोर्ट के अनुसार, वृद्ध लोगों, महिलाओं, अधिक वजन वाले और मोटे लोगों, अस्थमा के रोगियों और पहले सप्ताह में पांच से अधिक कोविड -19 लक्षण पाए जाने वाले लोगों को “लॉन्ग कोविद” का अधिक खतरा होता है। इस बात के भी नए प्रमाण हैं कि बहुत हल्के या बिना लक्षणों वाले लोग भी ठीक होने के बाद के लक्षणों को विकसित कर सकते हैं, जो कई महीनों तक रह सकते हैं। सर्दी जुकाम और बढ़ता प्रदूषण ठीक हो चुके लोगों की स्थिति बिगाड़ सकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, “त्यौहार के मौसम में बढ़ते प्रदूषण, गिरते तापमान और बढ़ती भीड़ के कारण, हर कोई जोखिम में है और ‘लॉन्ग कोविड’ का सामना कर चुके लोगों को फ्लू की वैक्सीन ले लेनी चाहिए।