बिहार विधानसभा चुनाव : कुर्सी एक मुख्यमंत्री पद के दावेदार 6

बिहार चुनाव में इस बार गठबंधनों की संख्या ही नहीं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की संख्या भी काफी ज्यादा है। इस बार सीएम पद के छह दावेदार हैं। जदयू, भाजपा, हम और वीआईपी के गठबंधन एनडीए ने फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है। लेकिन, राजद, कांग्रेस और तीन वामदलों के महागठबंधन ने इस बार अपना चेहरा बदल लिया है।

पिछले चुनाव में इस गठबंधन का चेहरा भी नीतीश कुमार थे, लेकिन इस बार तेजस्वी प्रसाद यादव सीएम पद के उम्मीदवार हैं। इसके अलावा छह दलों को मिलाकर बने ग्रांड डेमोक्रेटिक सेकुलर एलायंस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा तो प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन ने पप्पू यादव को अपना मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया है। उधर, चिराग पासवान ने खुद को कभी सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन उनकी पार्टी लोजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया है। इसी चुनाव के ठीक पहले प्लुरल्स नाम से नई पार्टी बनाने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी ने भी खुद को अगला मुख्यमंत्री घोषित कर रखा है। 

नीतीश कुमार 
एनडीए का मुख्यमंत्री का चेहरा  

संसदीय जीवन का भी लंबा अनुभव 
विधायक बने : पहली बार 1985 में बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित  
सांसद बने 
9वीं लोकसभा के लिए 1989 में पहली बार चुने गए। इसके बाद 1991, 1996, 1998, 1999 व 2004 में भी लोकसभा के लिए चुने गए 
केंद्र में मंत्री बने 
अप्रैल से नवंबर 1990 :  केन्द्रीय कृषि व सहकारिता राज्य मंत्री
19 मार्च 1998 से 5अगस्त 1999 तक:  केंद्रीय रेल मंत्री
13 अक्टूबर 1999 से 22 नवंबर 1999 तक : भू-तल परिवहन मंत्री
27 मई 2000 से 20 मार्च 2001 तक: कृषि मंत्री
22 जुलाई 2001 से 21 मई 2004 तक: रेल मंत्री 
मुख्यमंत्री बने 
03 से 10 मार्च 2000 पहली बार सात दिनों के लिए  
24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक
26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014
22 फरवरी 2015 से अब तक 
प्रमुख कार्य
राज्य में पूर्ण शराबबंदी। कृषि विकास के लिए रोडमैप बनाया। मुख्यमंत्री के रूप में बिहार में सड़कों का जाल बिछाया। बंद पड़े पुल निगम और बीज निगम को शुरू किया। पंचायत और नौकरी में महिलाओं को आरक्षण। स्कूली बच्चों के लिए साइकिल व पोशाक योजना। राज्य के हर गांव में बिजली पहुंचायी। भागलपुर दंगा पीड़ितों को हर माह पांच हजार पेंशन। मदरसा शिक्षकों को पुनरीक्षित वेतनमान दिया। नालंदा में आयुध कारखाना, नालंदा में रेल कोच कारखाना। दीघा, कोसी और मुंगेर में रेल पुल, पटना में आईसीएआर का क्षेत्रीय कार्यालय बनाया। 

तेजस्वी यादव
महागठबंधन के सीएम फेस

तेजस्वी यादव को संसदीय जीवन का अनुभव बहुत कम है। पिछले विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और जीतकर विधायक बने। लेकिन, उनके खाते में सामाजिक बदलाव के लिए पिता लालू प्रसाद द्वारा किये गये कार्य हैं। नीतीश कुमार की अगुवायी में बनी महागठबंधन की सरकार में उनके पास सड़क और भवन विभाग था। लेकिन, बाद में जदयू के महागठबंधन से अलग होने से वह सरकार से बाहर हो गये। एक ही कार्यकाल में उन्हें उप मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष दोनों का अनुभव मिला। 
2015 में पहली बार विधायक बने
उसी साल उप मुख्यमंत्री बन गये
प्रमुख काम 
संसदीय जीवन छोटा होने के कारण तेजस्वी यादव के पास उपलब्धियां कम ही हैं। पथ निर्माण मंत्री के रूप में पटना में गंगा पर छह लेन पुल का पहला पुल उनकी बड़ी उपलब्धि में शुमार है। छपरा में पहला डबल डेकर पुल का प्रस्ताव उन्होंने दिया। पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए आवाज उठाते रहे। पार्टी को माई समीकरण से निकालकर ए टू जेड की पार्टी बनाने की पहल की। 

उपेन्द्र कुशवाहा 
ग्रांड डेमोक्रेटिक सेकुलर एलायंस के सीएम उम्मीदवार 

उपेन्द्र कुशवाहा का राजनीतिक जीवन भी लंबा है। बीस साल पहले पहली बार विधायक बनकर ससंदीय जीवन की शुरुआत की थी। पहले वह जदयू में थे बाद में 2013 को रालोसपा का गठन किया।
विधायक बने 
वर्ष 2000 में पहली बार विधायक बने। पहले विधान सभा के उप नेता और फिर नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किए गए।  
सांसद बने  
2010 में जदयू कोटे से राज्यसभा गये।
2014 में एनडीए में शामिल हुए और सांसद बने
2014 में केन्द्र में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री बने। 
प्रमुख काम
मोतिहारी और बोधगया में केन्द्रीय विश्वविद्यालय शुरू कराया। औरंगाबाद के गोह और नवादा में केन्द्रीय विद्यालय को स्वीकृति दिलाई। शिक्षा के सुधार को लेकर लगातार संघर्ष करते रहे। 

पप्पू यादव 
प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन के सीएम प्रत्याशी 
पहली बार 1990 में सिंहेश्वरस्थान से निर्दलीय विधायक बने
पहली बार 1991 में पूर्णिया से सांसद बने
उसके बाद पांच बार सांसद रहे
वर्ष 2015 में लोकसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद चुने गये
वर्ष 2015 अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) बनाई 
काम 
पप्पू यादव के नाम कई समाजिक कार्य हैं। पिछले साल बाढ़ के दौरान उन्होंने पटना के कई घरों में सहायता पहुंचाई। इसके पहले भी हर आपदा में वह लोगों के साथ खड़े रहते हैं। 

पुष्पम प्रिया चौधरी 
स्वघोषित सीएम उम्मीदवार 

जदयू के पूर्व एमएलसी विनोद चौधरी की पुत्री हैं। पहली बार मार्च, 2020 में राजनीति में आई और प्लुरल्स पार्टी बनाई। उन्होंने राजनीति में आते ही खुद को बतौर मुख्यमंत्री पेश कर दिया। राजनीति में अब तक उनकी कोई उपलब्धि नहीं रही है। इस बार चुनाव में उन्होंने सभी सीटों पर उम्मीदवार देने की घोषणा की है। 
 

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