मुंबई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का शुद्ध लाभ 31 फीसदी बढ़कर 13,248 करोड़ रुपये रहा। कंपनी को हिस्सेदारी बिक्री से हुई असाधारण आय से उसका लाभ बढ़ा है। इस दौरान कंपनी का रेवेन्यू 88 हजार 253 करोड़ रुपए रहा।
कंपनी ने बृहस्पतिवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि इससे पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में कंपनी को 10,141 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। कंपनी ने कहा कि वह हिस्सेदारी बिक्री से 4,966 करोड़ रुपये की विशिष्ट आय होना स्वीकार करती है।
यह जानकारी रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से जारी वित्तीय परिणाम (फाइनेंशियल रिजल्ट) में दी गई है। इसमें बताया गया है कि कंपनी के लाभ में जहां 32 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है वहीं इसका रेवेन्यू 88,253 करोड़ रुपये रहा है। इसी अवधि में पिछले साल कंपनी को 10 हजार 104 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था।
हालांकि, इस दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने व्यय में 42 फीसदी की भारी कमी की है। कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में कंपनी का व्यय करीब 42 फीसदी कम हुआ है और 87,406 करोड़ रुपये रहा है। एक साल पहले यह एक लाख 50 हजार 858 करोड़ रुपये था।
जियो का शुद्ध लाभ 183 फीसदी बढ़ कर 2520 करोड़ रुपये
देश के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी की दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस जियो का शुद्ध लाभ जून तिमाही में लगभग 183 फीसदी उछलकर 2,520 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। कंपनी को पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 891 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।
कंपनी के कुल ग्राहकों की संख्या 30 जून 2020 तक बढ़कर 39.83 करोड़ हो गई। आलोच्य तिमाही के दौरान प्रति ग्राहक कंपनी का औसत राजस्व 140.3 रुपये प्रति माह रहा। इस दौरान कंपनी का परिचालन से प्राप्त राजस्व भी 33.7 फीसदी बढ़कर 16,557 करोड़ रुपये हो गया।
रिलायंस पावर को जून तिमाही में 1.88 करोड़ रुपये का घाटा
रिलायंस पावर को इस तिमाही में 1.88 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध घाटा हुआ है। कंपनी ने बताया कि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी ने 36.19 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था। पहली तिमाही में कंपनी की कुल आय घटकर 2,137.10 करोड़ रुपये रह गई।
बता दें कि पिछले साल की इसी अवधि में कंपनी की कुल आय 2,163.39 कररोड़ रह गई। साल 2019-20 में कंपनी का एकीकृत शुद्ध घाटा 4,255.37 करोड़ रुपये था। वहीं, कंपनी की कुल आय 8,202.41 करोड़ रुपये थी।
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कोविड के कारण हुए लॉकडाउन के बावजूद, अपवादों को जोड़कर तिमाही का शुद्ध लाभ 30.6 फीसदी बढ़कर 13,248 करोड़ रुपये रहा।
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही का समेकित नकद लाभ 16.7 फीसदी बढ़कर 18,893 करोड़ रुपये रहा।
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही का स्टैंडअलोन शुद्ध लाभ, एक्सेप्शनल आइटम्स को जोड़कर 7.9 फीसदी बढ़कर 9,753 करोड़ रुपये पर पहुंचा।
रिलायंस जियो का 2020-21 की पहली तिमाही का ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई (EBITDA) 7,281 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंची। यह पिछले साल के मुकाबले यह 55.4 फसीदी ज्यादा है।
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में रिलायंस जियो का कुल राजस्व 16,557 करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल के मुकाबले 33.7 फीसदी ज्यादा है।
इस तिमाली में जियो का स्टैंडअलोन EBITDA मार्जिन 44 फीसदी रहा जो पिछले साल 37.8 फीसदी था।
रिलायंस जियो का स्टैंडअलोन शुद्ध मुनाफा 2,520 करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल के मुकाबले 182.8 फीसदी ज्यादा है।
जियो से 30 जून 2020 तक 39 करोड़ 83 लाख ग्राहक जुड़े थे, पूरे देश में कोविड संबंधित प्रतिबंधों के बावजूद रिलायंस जियो से 1.51 करोड़ ग्राहक जुड़े।
मजबूत ग्राहक सेवाओं और सर्वश्रेष्ठ नेटवर्क की वजह से जियो का कुल वायरलेस डाटा ट्रैफिक 30.2 फीसदी बढ़कर 1,420 करोड़ जीबी हो गया।
लॉकडाउन के बीच जियो नेटवर्क पर प्रति माह औसत वायरलेस डाटा खपत बढ़कर 12.1 जीबी और वॉयस कालिंग 756 मिनट हो गई।
पहली तिमाही में जियो का प्रति ग्राहक औसत राजस्व 140.3 रुपये प्रति माह हो गया।
पहली तिमाही में लॉकडाउन के कारण पैदा हुए चुनौतीपूर्ण माहौल में, जहां 50 फीसदी स्टोर पूरी तरह से बंद थे और 29 फीसदी आंशिक रूप से काम कर रहे थे, रिलायंस रिटेल ने 31,633 करोड़ रुपये का राजस्व और 1,083 करोड़ का EBITDA हासिल किया।
पिछले साल के मुकाबले रिलायंस रिटेल ने किराना और कनेक्टिविटी कारोबार में 21 फीसदी की वृद्धि हासिल की है।
रिलायंस रिटेल में जियोमार्ट, रिलायंस डिजिटल और एजियो के माध्यम से डिजिटल कॉमर्स को सक्रिय करने और सभी चैनल क्षमताओं को मजबूत करने से तिमाही के दौरान राजस्व प्राप्त करने में मदद मिली।
इस तिमाही में रिलायंस रिटेल का पूरा जोर, अपने स्टोर के विस्तार पर था, लॉकडाउन के बावजूद तिमाही के दौरान 69 नए स्टोर खोले गए।
रिलायंस रिटेल के 11,806 रिटेल स्टोर्स 7,000 से अधिक शहरों में दो करोड़ 87 लाख वर्ग फुट में फैले हैं।
इस वित्त वर्ष की पहली तिमागी में पेटकेम सेगमेंट का EBITDA 49.7 फीसदी घटकर 4,430 करोड़ रहा। कमजोर घरेलू मांग और एक्सपोर्ट में ऊंचे इसकी शेयर वजह बनी।
घरेलू उद्योग और आपूर्ति श्रृंखला के संकट के बावजूद तिमाही में रिलायंस पेटकेम परिचालन की दरें 90 फीसदी से ज्यादा रहीं, जो उद्योग की बाकी कंपनियों से बेहतर है।
लॉकडाउन के पहले 10 दिनों के भीतर ही रिलायंस ने अपने बिजनेस मॉडल 20% : 80% (निर्यात : घरेलू) से पलटकर 80% : 20% कर दिया था; यहां तक कि अब उन साइटों से भी एक्सपोर्ट किया जाता है जो आम तौर पर केवल घरेलू बाजारों में ही काम करती थीं।
कमजोर मार्जिन एनवायरमेंट के कारण रिफाइनिंग सेगमेंट का EBITDA 25.8 फीसदी गिरावट के साथ 3,818 करोड़ रहा। ऑप्टिमाइज्ड क्रूड खरीद, अपेक्षाकृत उच्च उपयोग, लागत प्रबंधन और बेहतर उत्पाद प्लेसमेंट की वजह से मुनाफा कायम रहा।