आईना
तीसरी का रजिस्टर अवसाद, आप और मैं,
मेरे एक परम मित्र है, अब 55 के हैं, 5 साल पहले जब 50 के थे..
भाभी का फ़ोन आया कि ये भयंकर डिप्रेशन में हैं,कहीं मर मरा ना जाएं….., कुंडली देखो इनकी.. …?
देख ली…….
मरना लिखा नही था तो मरे नहीं…..पर मन का हाल बता दिया.. कि मैं ठीक नही हूं
फिर मैं और वो गए गुरू जी के पास……
दोस्त ने गुरू जी से कहा:- कुछ मन नहीं करता, मरने की ताक़त नहीं..दुनियां तोप समझती है.. पर मेरे पास कारतूस जितना सामान भी नहीं……..!
मैं डिप्रेशन में हूं…
गुरू जी ने कहा:- तीसरी में किस स्कूल में पढ़ता था…..?उसने स्कूल का नाम बता दिया…
गुरु जी ने कहा जा स्कूल…..
वहां से तेरी क्लास का तीसरी का रजिस्टर लेकर आ………?
जो 40 नाम उस रजिस्टर में लिखे हैं, पांच दिन में मुझे आकर सबका हाल बताना……?
दोस्त गया.. रजिस्टर लाया और 3 दिन घूमा…….!
आश्चर्य…..
उनमें से 20% लोग मर चुके थे….
20% लड़कियां विधवा या तलाकशुदा थी……
15% नशेडी निकले,जो बात करने लायक़ नहीं थे…………?
20% का पता ही नहीं चला कि अब वो कहां हैं…..?
5% इतने ग़रीब निकले कि पूंछो मत…….
5% इतने अमीर निकले कि पूछो ही नहीं….
7-8% लकवा या कैंसर या दिल के रोगी निकले………….?
3-4% का एक्सीडेंट्स में हाथ/पांव या रीढ़ की हड्डी में चोट से बिस्तर पर थे……
2 से 3% के बच्चे पागल…!
1 जेल में था..
एक अब सैटल हुआ था इसलिए अब शादी करना चाहता था…
एक अभी भी सैटल नहीं था और दो तलाक़ के बावजूद तीसरी शादी की फ़िराक़ में था…
तीसरे दिन…
“तीसरी का रजिस्टर” भाग्य की व्यथा ख़ुद गा रहा था..
अब दोस्त को समझ आ गई की मुझे कोई बीमारी नहीं………!
मैं भूंखा नहीं मर रहा……
मेरा दिमाग एकदम सही है……
मेरे बीवी,बच्चे बहुत अच्छे हैं…
दुनियां में वाक़ई बहुत दु:ख है..और मै बहुत सुखी और भाग्यशाली हूं…….
दो बातें तय हुई आज………
कि
धीरूभाई अम्बानी मै बनूं नहीं..
और भूखा मैं मरू नहीं ….
डिप्रेशन केवल तनाव ना झेलने वालों और निकम्मे लोगों की बीमारी है……
अब आपको भी ऐसा लगता है कि आप डिप्रेशन में हैं……….?
आप 50+ हैं…….?
तो तीसरी का रजिस्टर स्कूल जाकर ले आएं