चीन नेपाल की जमीन हथियाने की फिराक में जुटा है। वह तिब्बत में सड़क निर्माण के नाम पर नेपाली भूमि पर अतिक्रमण कर रहा है। भविष्य में उसकी इन क्षेत्रों में सीमा चौकी भी बनाने की योजना है। नेपाल सरकार की गोपनीय रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है।
कृषि मंत्रालय के सर्वे विभाग की ओर से तैयार इस रिपोर्ट में 33 हेक्टेयर दायरे में फैले उन दस इलाकों का जिक्र है, जिनमें चीन ने नदियों का रुख मोड़कर नेपाली जमीन पर कब्जा कर लिया है। हुमला जिले में चीन ने सड़क निर्माण के जरिये बागडारे खोला और करनाली नदी का रुख मोड़ दस हेक्टेयर जमीन कब्जिया ली है। वहीं, तिब्बत में निर्माण गतिविधियों के चलते सिनजेन, भुरजुक और जंबुआ खोला के रुख में हुए बदलाव से रसुवा की छह हेक्टेयर भूमि पर उसका कब्जा हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सरकार तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में अपना रोड नेटवर्क लगातार बढ़ा रही है। इससे कई नदियों और उपनदियों का रुख बदल गया है और वे नेपाल की तरफ बहने लगी हैं। नदियों के इस बहाव से नेपाल के कई जिलों की सीमा धुंधलाने लगी है। अगर यही स्थिति रही तो जल्द ही नेपाल की बड़ा भूभाग तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से जुड़ा नजर आने लगेगा। यह भी संभव है कि चीन वहां सीमा चौकियां स्थापित करने लगे।1960 के दशक में हुए सर्वे के बाद नेपाल ने चीन के साथ सीमा निर्धारण के लिए सिर्फ सौ पिलर का निर्माण किया। वहीं, भारत से लगती सरहद की बात करें तो पिलर की संख्या 8553 के करीब है। 14 देशों से लगती है चीन की सरहद, 23 देशों की जमीन हथियाई या फिर उस पर कब्जे की फिराक में
-1934 में पूर्वी तुर्किस्तान तो 1950 में 80 फीसदी बौद्ध आबादी वाले तिब्बत पर हमला कर कब्जा जमाया
-1945 में इनर मंगोलिया की 11.83 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि हथियाई, ताइवान की 35 हजार वर्ग किमी जमीन पर नजर
-नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लाकर हांगकांग पर पकड़ बढ़ाने की मंशा, दक्षिणी और पूर्वी चीन सागर के द्वीपों पर ठोकता दावा
भारत के बड़े हिस्से पर कब्जा
-38 हजार वर्ग किलोमीटर का हिस्सा चीन के कब्जे में
-14,380 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अक्साई चिन का शामिल
-5180 वर्ग किमी इलाका पीओके का पाक ने चीन को दिया