विश्व स्वास्थ्य संगठन : हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का कोरोना इलाज के लिए फिर होगा ट्रायल

विश्व स्वाथ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का फिर से ट्रायल शुरू किया जाएगा। सुरक्षा समीक्षा लंबित होने के चलते इसकी कोरोना के इलाज के लिए ट्रायल रोक दी गई थी।

डब्ल्यूएचओ चीफ टेड्रोस एडनम ने एक वर्चुअल न्यूज ब्रीफिंग के दौरान कहा, “उपलब्ध मृत्यु के आंकड़े को देखते हुए… एग्जिक्यूटिव ग्रुप प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर्स से हाइड्रोक्सोक्लोरोक्वीन के ट्रायल फिर शुरू करने के बारे में बताएंगे।” गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के चलते दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है और दुनिया के अधिकतर देशों में लॉकडाउन जैसे हालात हैं। 

इससे पहले, भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर बैन लगा दिया था लेकिन कई देशों की तरफ से मांग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से फोन कर इस दवा भेजने के अनुरोध के बाद भारत ने इसके निर्यात का फैसला किया और इसके ऊपर लगी रोक को हटाई थी। हैदराबाद स्थित सेलुलर और आणविक जीव विज्ञान के लिये केंद्र (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों ने देश में कोविड-19 से संक्रमित लोगों में एक अलग तरह के कोरोना वायरस का पता लगाया है। यह दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु और तेलंगाना में ज्यादातर पाया गया है।वैज्ञानिकों ने वायरस के इस अनूठे समूह को ‘क्लेड ए3आई नाम दिया है, जो भारत में जीनोम (जीनों के समूह) अनुक्रम के 41 प्रतिशत में पाया गया है। 

वैज्ञानिकों ने 64 जीनोम का अनुक्रम तैयार किया। सीसीएमबी ने ट्वीट किया, ”भारत में सार्स-सीओवी2 के प्रसार के जीनोम विश्लेषण पर एक नया तथ्य सामने आया है। नतीजों से यह यह प्रदर्शित हुआ कि विषाणु का एक अनूठा समूह भी है और यह भारत में मौजूद है। इसे क्लेड ए3आई नाम दिया गया है। इसमें कहा गया है, ”ऐसा प्रतीत होता है कि यह समूह फरवरी 2020 में विषाणु से उत्पन्न हुआ और देश भर में फैला। इसमें भारत से लिये गये सार्स-सीओवी2 जीनोम के सभी नमूनों के 41 प्रतिशत और सार्वजनिक किए गए वैश्विक जीनोम का साढ़े तीन प्रतिशत है।

सीसीएमबी वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआर) के तहत आता है। इस विषाणु पर किये गये शोध से यह पता चला है कि विषाणु के फरवरी में साझा पूर्वज थे। सीसीएमबी के निदेशक एवं शोध पत्र के सह-लेखक राकेश मिश्रा ने कहा कि तेलंगाना और तमिलनाडु से लिये गये ज्यादातर नमूने क्लेड ए3आई की तरह हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर नमूने भारत में कोविड-19 के प्रसार के शुरूआती दिनों के हैं। 

मिश्रा ने कहा कि दिल्ली में पाये गये नमूनों से इसकी थोड़ी सी समानता है, लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात के नमूनों से कोई समानता नहीं है। कोरोना वायरस का यह प्रकार सिंगापुर और फिलीपीन में पता चले मामलों जैसा है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में और अधिक नमूनों का जीनोम अनुक्रम तैयार किया जाएगा तथा इससे इस विषय पर और जानकारी मिलने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह भी कहा गया है कि भारत में सार्स-सीओवी2 के अलग और बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध समूह की विशेषता बताने वाला यह पहला व्यापक अध्ययन है।

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