बिजली विभाग में निजीकरण का व्यापक विरोध:राज्य कर्मचारी भी देंगे समर्थन.

ब्यूरो,

बिजली विभाग में निजीकरण का व्यापक विरोध:राज्य कर्मचारी भी देंगे समर्थन.

प्रेस विज्ञप्ति

बिजली विभाग में निजीकरण का असर सरकारी विभागों पर भी.
बिजली विभाग के आंदोलन को राज्य कर्मचारी भी देंगे समर्थन.
संविदा कर्मियों को सेवा से हटाने को लेकर संयुक्त परिषद ने विरोध जताया.

लखनऊ 9 दिसंबर…
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने आज लखनऊ में एक प्रेस विज्ञप्ति में अवगत कराया है कि बिजली विभाग में निजीकरण का व्यापक प्रभाव सरकारी विभागों पर भी पड़ेगा। बिजली महंगी होगी, यातायात सेवाएं एवं उपभोक्ता को मिलने वाली सभी सेवाएं महंगी हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि उड़ीसा एवं मुंबई में निजी बिजली कंपनियां कार्य कर रही है। वहां बिजली दर ₹10 से भी ऊपर है जबकि उत्तर प्रदेश में बिजली क दर₹6 के आस पास है। पावर कॉरपोरेशन 110000 करोड़ का घाटा दिखाकर निजीकरण की वकालत कर रहा है जबकि बड़े उपभोक्ताओं पर 115000 करोड़ का बकाया है। कॉरपोरेशन अपना बिजली बकाया वसूल कर ले एवं लाइन लॉस को नियंत्रित कर ले तो बिजली घाटी में नहीं रहेगी। जे एन तिवारी ने यह भी कहां है कि संविदा कर्मियों को निकाले जाने का राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद पहले से ही विरोध कर रही है। उन्होंने बताया है कि 2001 के बाद संविदा कर्मियों का नियमितीकरण नहीं किया गया है। जबकि सरकार उनको ग्रेड वेतन, महंगाई भत्ता की सभी सुविधाएं सरकारी कर्मचारियों की भांति ही दे रही है। जे एन तिवारी ने सरकारी कर्मचारियों पर एस्मा लगाए जाने पर भी विरोध जताया है उन्होंने कहा है कि सरकारी कर्मचारियों के संगठन अनुशासित ढंग से प्रजातांत्रिक ढांचे के अंतर्गत विरोध प्रकट करते हैं , जोकि उनका अधिकार है। स्वस्थ प्रजातंत्र में मुखर विरोध को दबाना उचित नहीं है। जे एन तिवारी ने निजीकरण एवं संविदा कर्मियों साथ हो रहे शोषण पर सभी संगठनों को एक एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया है।
जे एन तिवारी
अध्यक्ष

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