ब्यूरो,
निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है। 2006 के नरसंहार मामले में मुख्य आरोपियों की रिहाई पवन जल्लाद भी हैरान हैं। बता दें कि 2015 में मेरठ की जेल में सुरेंद्र कोली को फांसी का फंदा पहनाने के लिए पवन जल्लाद को ही नियुक्त किया गया था। पवन ने कहा, एक दोषी करार दिए गए अपराधी की दया याचिका राष्ट्रपति ने भी खारिज कर दी थी। आज उसे बरी कर दिया गया। यह बहुत ही निराश करने वाला है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पवन जल्लाद ने सुरेंद्र कोली की फांसी की तैयारियों को याद करते हुए कहा, कोली की फांसी के लिए हमने 10 दिन तैयारी की थी। 70 के दशक के बाद मेरठ की जेल में कोई फांसी नहीं हुई है। उन्होंने कहा, मुझे याद है कि उसको फांसी दिए जाने में केवल एक घंटे का वक्त बाकी था। वह मरते-मरते बच गया। मेरे हाथ से फांसी का वह फंदा फिसल गया। हाई कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
बता दें कि पवन अपनी पीढ़ी के चौथे शख्स हैं जो कि जल्लाद का काम करते हैं। उनके परदादा लक्ष्मण राम ने ब्रिटिश काल में ही इस काम की शुरुआत की थी। बताया जाता है कि लक्ष्मण राम ने ही भगत सिंह को फांसी पर चढ़ाया था। पवन के दादा कल्लू ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कातिलों को फांसी पर चढ़ाया। उनके पिा मामू 47 साल जल्लाद रहे। साल 2013 में पवन ने यूपी में जल्लाद के तौर पर काम करना शुरू किया।
साल 2021 में पवन को एक महिला अपराधी को फांसी देने का मौका मिला थआ। उसका नाम शबनम था। शबनम पर परिवार के सात सदस्यों की हत्या का आरोप था। उन्होंने यह अनुभव साझा करते हुए कहा, मुझे मथुरा जेल में शबनम को फांसी देने की तैयारी करने कहा गया था। हालांकि उनका डेथ वॉरंट कभी नहीं आया। वह अपनी मौत की सजा टालने की हर कोशिश में लगी है और अब तक उसे फांसी नहीं दी गई है। पवन ने कहा कि यह एक अच्छा काम है। यह हमारी ड्यूटी है और गर्व की बात है कि जघन्य अपराध करने वालों को सजा देने का मौका मिलता है।
पवन ने कहा, हमारी कोई अलग से ट्रेनिंग नहीं हुई है। हमने अपने पिता और दादा से सीखा है। फांसी के वक्त पर फंदा बिल्कुल परफेक्ट होना चाहिए। हमें मरने वाले पर दया करने का भी अधिकार नहीं है। फंदा बनाते वक्त अपराधी के वजन और हाइट का भी ध्यान रखना होता है। उन्होंने कहा कि फांसी जल्दी होती नहीं है इसलिए कई बार एक ही फंदा काम में कआ जाता है। पवन को हर महीने 7500 रुपये मिलते हैं। उन्होंने कहा कि परिवार चलने के लिए यह काफी नहीं है। मुझे सरकारी कर्मचारी का स्टेटस और लाभ मिलने चाहिए।