ब्यूरो,
अवतार सिंह भड़ाना को शामिल करके रालोद ने गुर्जर बिराबदी को साधने की कोशिश की है। अवतार सिंह भड़ाना किसी वक्त गुर्जर प्रभावित सीटों पर बहुत असरदार माने जाते थे। कांग्रेस ने उनका उपयोग भी कई राज्यों में किया। भड़ाना का मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा की सीटों पर प्रभाव माना जाता है। यह बात दीगर है कि भाजपा में भी अब उनके समकक्ष कई नेता खड़े हो गए हैं।
पूर्व सांसद और मीरापुर से विधायक अवतार सिंह भड़ाना का राजनीतिक जीवन चौंकाने वाले परिणाम देने वाला रहा है। उनकी छवि भी बागी रही है। मीरापुर से वह महज 193 वोटों से जीतकर विधायक बने। भाजपा हाईकमान से उनकी ज्यादा नहीं बनी। 2019 में उन्होंने भाजपा छोड़ने की घोषणा की। विधायक रहते ही वह 2019 में कांग्रेस के टिकट पर फरीदाबाद सीट से चुनाव लड़े। भाजपा ने उनको पार्टी से नहीं निकाला। किसान आंदोलन के दौरान भी वह लगातार भाजपा के खिलाफ बयानबाजी करते रहे।
1999 में अवतार सिंह भड़ाना ने हरियाणा छोड़कर मेरठ लोकसभा सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ा था और सांसद चुने गए। यह चुनाव बहुत हाईटेक रहा और अवतार सिंह भड़ाना ने तीन बार से सांसद ठाकुर अमरपाल सिंह को हराया। इस चुनाव में ऐसा बहुत कुछ हुआ, जिसने उनको चर्चा में ला दिया था।
अवतार सिंह भड़ाना के रिश्ते सभी पार्टियों में समान रूप से हैं। कांग्रेस के वह ज्यादा करीब बताए जाते हैं। फरीदाबाद से ललित नागर का टिकट काटकर उनको प्रत्याशी बना दिया गया था। उनके भाई करतार सिंह भड़ाना हरियाणा मे दो बार मंत्री रह चुके हैं। करतार दो बार खतौली से राष्ट्रीय लोकदल से विधायक रह चुके हैं।
अवतार सिंह भड़ाना गुर्जर समाज के बड़े नेता हैं। रालोद में शामिल होने के बाद उनकी जेवर से उम्मीदवारी की चर्चा है। खेकड़ा, गाजियाबाद (लोनी), मेरठ दक्षिण, हस्तिनापुर सहित गुर्जर प्रभावित सीटों पर उनका प्रभाव माना जाता है। जेवर विधानसभा की सीट गुर्जर बाहुल्य है। रालोद अवतार के रूप में गुर्जर प्रभावित जिलों मेरठ, बागपत, खतौली, मीरापुर, खेकड़ा आदि में पकड़ बनाना चाहता है। पहले किसी वक्त गुर्जर रालोद के साथ हुआ करते थे।