आशंका: प्रधानमंत्री की अपील से पावर ग्रिड फेल होने का खतरा, हो रही बचाने की जुगत

लखनऊ। कोरोना महामारी से बचने के चक्कर में एक नई परेशानी खड़ी होने की आशंका पैदा हो गई है। प्रधानमंत्री के अपील के अनुसार यदि 5 अप्रैल को एक साथ सभी लाइट बन्द कर दिया जाये, तो पावर ग्रिड फेल हो सकता है। इससे बचने की तैयारी शुरू हो गई है।

बीबीसी के पूर्व पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी द्वारा संचालित मीडिया स्वराज पोर्टल में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है । नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी से लड़ने में व्यापक एकजुटता दिखाने के लिए सभी देशवासियों से पाँच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट के लिए सारी लाइटें बंद करने के आह्वान से अचानक पावर लोड कम हो जाएगा। इससे देश भर में बिजली सप्लाई का पावर ग्रिड फेल होने का ख़तरा उत्पन्न हो गया है। 

आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फ़ेडेरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने प्रधानमंत्री का संदेश सुनने के तुरंत बाद उन्हें पत्र लिखकर इस ख़तरे से आगाह किया। इसके बाद भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय और बिजली उत्पादन तथा वितरण से जुड़ी सभी इकाइयों में खलबली मच गई। 

अब चार अप्रैल को सुबह साढ़े ग्यारह बजे राष्ट्रीय स्तर पर ग्रिड को बचाने  के लिए वीडियो कानफ़्रेस होगी। फ़िलहाल उत्तर प्रदेश में तय किया गया है कि ख़तरे से निबटने के लिए सभी इंजीनियर और स्टाफ़ पाँच अप्रैल को रात आठ बजे से दस बजे तक सब स्टेशनों और जगह – जगह  ड्यूटी पर तैनात रहेंगे। 

एक बातचीत में श्री शैलेंद्र दुबे ने विस्तार से बताया की वैसे ही डिमांड कम है। पिछले 20 दिनों में ग्रिड पर लोड लगभग 30% कम हो गया है, ट्रैन / फैक्ट्री / बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं। बिजली का स्टोरेज संभव नही है, जिस क्षण लोड कम होता है या बढ़ता है उसी क्षण किसी न किसी पॉवर प्लांट में उतना लोड कम किया जाता है या बढ़ाया जाता है। देश मे जो बिजली सप्लाई हो रही है उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा थर्मल प्लांट से आता है । थर्मल प्लांट की लोड कम करने की क्षमता सीमित होती है। वो अगर अपनी क्षमता के 60% से कम लोड पर चलाये जाएं तो उनके स्थायित्व पर संकट आ सकता है। यह बिंदु टेक्निकल मिनिमम कहलाता है। लॉक डाउन के चलते बड़ी संख्या में थर्मल प्लांट टेक्निकल मिनिमम या उसके आसपास ही चल रहे हैं। अब अगर ये बिजली बंद करने का आव्हान 70% भी अमल में आया तो ग्रिड पर अचानक बड़ा जर्क आएगा। अनावश्यक तौर पर सारी व्यवस्था हलकान होगी। यदि ग्रिड डिस्टर्ब हुआ तो 12 – 18 घंटे लगेंगे व्यवस्था ठीक होने में। इस बीच अस्पताल और अन्य आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।

खतरे को टालने के लिए केंद्रीय एजेंसी शनिवार को सभी प्रांतों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रातः 11:30 बजे बात कर रही है निश्चित रूप से इसमें कुछ निर्देश सामने आएंगे।

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