ब्यूरो,
कांग्रेस केंद्र सरकार की ओर से प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई प्रमुखों के कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाने वाले अध्यादेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अध्यादेशों को रद्द करने की मांग की है। अपनी याचिका में सुरजेवाला ने अध्यादेश को जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता को नष्ट करने वाला बताया है।
सुरजेवाला ने दावा किया कि ये अध्यादेश भारत सरकार को ईडी और सीबीआई के निदेशकों के कार्यकाल के लिए एक-एक साल के लिए टुकड़े-टुकड़े के रूप में विस्तार प्रदान करने का अधिकार देते हैं। सुरजेवाला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि इनमें सार्वजनिक हित’ के अस्पष्ट संदर्भ के अलावा कोई मानदंड प्रदान नहीं किया गया है। वास्तव में ये सरकार की व्यक्तिपरक संतुष्टि पर आधारित है। इसका प्रत्यक्ष और स्पष्ट प्रभाव जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता को नष्ट करने का है।
याचिका में आगे कहा गया है कि इसके साथ-साथ ये कदम वास्तव में जांच एजेंसियों पर कार्यपालिका के नियंत्रण की पुष्टि करता है, उनके स्वतंत्र कामकाज के लिए सीधे विरोधी है। कांग्रेस नेता ने कहा है कि सीबीआई और ईडी के डायरेक्टरों का दो साल का एक फिक्स कार्यकाल था, लेकिन अब उन्हें हर साल विस्तार दिया जा सकता है, जब तक कि उनकी नियुक्ति की शुरुआती तिथि से पांच साल से अधिक न हो।
सुरजेवाला ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत की भी मांग की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अध्यादेश ऐसे संस्थानों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर जारी अदालती आदेशों का उल्लंघन करते हैं और अधिकारियों की ओर से सत्ता के स्पष्ट दुरुपयोग को भी दर्शाते हैं।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में यह तीसरी याचिका दायर की गई है। इससे पहले तृणमूल कांग्रेस की नेता और सांसद महुआ मोइत्रा ने भी याचिका दाखिल की है। इन दोनों याचिकाओं के अलावा वकील एमएल शर्मा ने भी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।